iGrain India - नई दिल्ली । बारिश के अभाव एवं ऊंचे तापमान के कारण दक्षिण भारत के बांधों और जलाशयों में पानी का स्तर लगातार घटता जा रहा है जो गंभीर चिंता का कारण बन गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर भी करीब दो-तिहाई जलाशयों में कुल क्षमता के सापेक्ष 50 प्रतिशत से कम पानी का स्टॉक बचा हुआ है जबकि दक्षिण भारत में यह घटकर 26 प्रतिशत पर आ गया है। लगातार 22 वे सप्ताह जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई।
केन्द्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चालू सप्ताह के दौरान देश के 150 प्रमुख बांधों एवं जलाशयों में पानी का स्तर घटकर 73.297 बिलियन क्यूबिक मीटर्स (बीसीएम) रह गया जो उसकी कुल भंडारण क्षमता 178.784 बीसीएम पानी का स्टॉक उपलब्ध था।
प्रमुख जलाशयों के 50 प्रतिशत में पानी का भंडारण कम है जबकि 77 जलाशयों में यह 40 प्रतिशत से भी नीचे आ गया है। दक्षिण भारत में स्थिति ज्यादा खराब है।
10 जलाशयों में तो 10 प्रतिशत से भी कम पानी बचा हुआ है और यदि जल्दी ही अच्छी वर्षा नहीं हुई तो कुछ अन्य जलाशय भी अगले एक-दो सपताह में इस सूची में शामिल हो सकते हैं। इससे वहां पेयजल के लिए भी पानी का अभाव उत्पन्न होने की आशंका बढ़ गई है।
कर्नाटक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य में से एक है। वहां गत वर्ष अल नीनो मौसम चक्र के कारण बारिस कम हुई थी और चालू वर्ष में भी अब तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। वहां भंडारण क्षमता के सापेक्ष केवल 26 प्रतिशत पानी मौजूद है।
राजधानी बंगलौर के कुछ भागों में भूमि जल का भारी अभाव देखा जा रहा है। आंध्र प्रदेश में स्थिति लगभग ऐसी ही है। वहां भंडारण क्षमता के सापेक्ष जल स्तर 62 प्रतिशत नीचे आ गया है जबकि आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के संयुक्त स्वामित्व वाले जलाशयों में सामान्य स्तर से 53 प्रतिशत कम पानी का स्टॉक मौजूद है।
जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन होने तक होने तक दक्षिण भारत में पानी का गभीर संकट बरकरार रहने की संभावना है।