iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण भारत के पांचों प्रमुख राज्यों- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु एवं केरल में बांधों जलाशयों में पानी का स्तर इतना अधिक घट गया है कि वहां फसलों की सिंचाई के लिए इसकी आपूर्ति संभव नहीं हो पाएगी और पेयजल के लिए भी संकट उत्पन्न हो जाएगा।
कर्नाटक में यह संकट पहले ही आरंभ हो चुका है। दक्षिण भारत के प्रमुख जलाशयों में केवल 13,844 बीसीएम पानी मौजूद है जो कुल भंडारण क्षमता 53,334 बीसीएम का महज 26 प्रतिशत है।
दक्षिण भारत के कुल 42 में से 33 जलाशयों में पानी का भंडार 50 प्रतिशत से नीचे है। तमिलनाडु एवं तेलंगाना में यह सामान्य स्तर का महज 24 प्रतिशत एवं 6 प्रतिशत रह गया है। केरल में सामान्य स्तर से सिर्फ 1 प्रतिशत ऊपर है।
देश के उत्तरी भाग में 10 में से 9 जलाशयों में पानी का भंडार 50 प्रतिशत से कम बचा हुआ है। इसकी कुल भंडारण क्षमता 19.663 बीसीएम है जबकि उसमें 6.944 बीसीएम यानी 35 प्रतिशत पानी का स्टॉक उपलब्ध है। लेकिन पर्वतीय राज्यों में बर्फ पिघलने पर आगामी समय में जलाशयों में पानी का भंडार बढ़ने की संभावना है।
उधर पूर्वी राज्यों के 23 में से 10 जलाशयों में 50 प्रतिशत से कम यानी बचा हुआ है। कुल भंडार क्षमता 20,430 बीसीएम के सापेक्ष शेष जलाशयों में 55 प्रतिशत या 10.732 बीसीएम पानी का भंडार मौजूद होने की सूचना है।
बंगाल, बिहार तथा नागालैंड में पानी का स्टॉक सामान्य स्तर से नीचे है। पश्चिमी क्षेत्र के 49 जलाशयों में से 24 में 50 प्रतिशत से कम पानी बचा हुआ है। महाराष्ट्र में स्टॉक सामान्य से 10 प्रतिशत नीचे है।
इसी तरह मध्यवर्ती भारत के 26 में से 17 जलाशयों में 50 प्रतिशत से कम पानी मौजूद है। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में 27-27 प्रतिशत तथा छत्तीसगढ़ में 24 प्रतिशत कम पानी का स्टॉक है।