iGrain India - मुम्बई । उत्पादन घटने तथा एथनॉल, पॉल्ट्री फीड स्टार्च निर्माण उद्योग में भारी मांग रहने से मक्का का घरेलू बाजार काफी ऊंचा हो गया है जिससे इसके निर्यात शिपमेंट पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
भारत से निर्यात प्रभावित होने का फायदा पाकिस्तान उठा रहा है और वहां से इस मोटे अनाज का अच्छा शिपमेंट होने के संकेत मिल रहे हैं। दक्षिण पूर्व एशिया के जिन देशों में पहले भारतीय मक्का की भारी मांग रहती थी वहां अब पाकिस्तान का माल पहुंचने लगा है। भारत में मक्का का दाम बढ़कर वैश्विक बाजार भाव से ऊपर पहुंच गया है जिससे इसकी निर्यात मांग सुस्त पड़ गई है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन के दौरान मक्का का घरेलू उत्पादन घटकर 324.70 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन के उत्पादन 353.60 लाख टन से काफी कम है। इस बार खरीफ के साथ-साथ रबी सीजन में भी उत्पादन घटने की संभावना व्यक्त की गई है।
एथनॉल निर्माण में गन्ना के सीमित उपयोग की अनुमति दिए जाने के कारण मक्का की मांग तेजी से बढ़ने लगी है। इसी तरह उत्पादन में गिरावट तथा कीमतों में आगे और वृद्धि की आशंका को देखते हुए पशु आहार, पॉल्ट्री फीड एवं स्टार्च के निर्माता भी जल्दी-जल्दी मक्का की खरीद करके इसका स्टॉक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय मक्का वैश्विक बाजार से बाहर हो गया है क्योंकि इसके मूल्य की प्रतिस्पर्धी क्षमता समाप्त हो गई है।
उत्पादक मंडियों में मक्का का दाम 2150 रुपए प्रति क्विंटल या करीब 260 डॉलर प्रति टन चल रहा है जो अन्य निर्यातक देशों की तुलन में काफी ऊंचा है।
पाकिस्तान का मक्का 240-250 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध है जबकि भारतीय मक्के का निर्यात ऑफर उछलकर 300 डॉलर प्रति टन के करीब पहुंच गया है। घरेलू बाजार में मक्का का भारित औसत मूल्य पिछेल दिन 2132 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया
जो गत वर्ष की समान अवधि में 2039 रुपए प्रति क्विंटल था। मक्का का भाव घटकर अर्जेन्टीना में 188 डॉलर प्रति टन अमरीका में 189 डॉलर तथा ब्राजील में 191 डॉलर प्रति टन फ्री ऑन बोर्ड रह गया है।