iGrain India - नई दिल्ली । हाल के दिनों में देश के कुछ महत्वपूर्ण गेहूं उत्पादक राज्यों में तेज हवा के साथ बेमौसमी बारिश होने तथा कहीं-कहीं ओले गिरने से नई फसल की कटाई-तैयारी में बाधा पड़ रही है, विपणन (क्रय) केन्द्रों पर बहुत कम मात्रा में अनाज पहुंच रहा है और इसलिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) सहित प्रांतीय एजेंसियों को इसकी खरीद शुरू करने का अवसर नहीं किया गया है।
अब मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में गेहूं की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा कर दी गई है इसलिए व्यापारियों एवं स्टॉकिस्टों को उत्तर प्रदेश एवं बिहार जैसे राज्यों में सक्रिय होना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि इस बार उत्तर प्रदेश में 1 मार्च तथा राजस्थान में 10 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू करने का निर्णय लिया गया था लेकिन इन दोनों राज्यों में खरीद की प्रक्रिया अभी तक आरंभ नहीं हो सकी है।
मध्य प्रदेश सरकार ने 22 मार्च से गेहूं खरीदने का निश्चय किया था लेकिन ऐसा लगता है कि वहां 15 मार्च से ही इसकी खरीद शुरू हो सकती है। राज्य की मंडियों में नए गेहूं की आवक होने लगी है।
हालांकि केन्द्र सरकार ने चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 300-320 लाख टन गेहूं खरीदने की बात कही थी लेकिन मार्च में खरीद की गति धीमी रहने की संभावना है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार अब अप्रैल के प्रथम सप्ताह से ही मंडियों में गेहूं की आवक एवं सरकारी खरीद जोर पकड़ सकती है। राजस्थान में 25 मार्च से गेहूं की आवक बढ़ने की उम्मीद है।
समझा जाता है कि गेहूं की खरीद का लक्ष्य 334 लाख टन निर्धारित किया जा सकता है क्योंकि प्रमुख उत्पादक राज्यों ने सूचित किया था कि वे संयुक्त रूप से केन्द्रीय पूल में 367 लाख टन गेहूं का योगदान दे सकते हैं। पिछले दो वर्षों के खराब अनुमान को देखते हुए खाद्य मंत्रालय इस बार गेहूं खरीद का व्यावहारिक लक्ष्य नियत करना चाहता है।
चालू वर्ष के दौरान उत्तर प्रदेश म 354.80 लाख टन, मध्य प्रदेश में 234.80 लाख टन, पंजाब में 16.30 लाख टन, हरियाणा में 112.10 लाख टन, राजस्थान में 104.20 लाख टन तथा बिहार में 63.30 लाख टन सहित राष्ट्रीय स्तर पर कुल 1120.30 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।