iGrain India - नई दिल्ली । भारत में खाद्य तेलों के आयात पर होने वाला खर्च बढ़कर 20 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया है। इसे देखते हुए सरकार भी परेशान हो रही है। स्वयं प्रधानमंत्री ने खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में सरकार के संकल्प एवं प्रयास पर जोर दिया है।
इसके तहत उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऑयल पाम की खेती पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता बताई है। भारत को खाद्य तेलों की कुल घरेलू मांग एवं खपत के 57 प्रतिशत भाग को विदेशों से आयात के जरिए पूरा करना पड़ रहा है। देश में पिछले मार्केटिंग सीजन के दौरान 20.56 अरब डॉलर मूल्य के खाद्य तेलों का आयात किया गया था।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेलों का उत्पादन कम होने से इसके आयात पर विशाल मात्रा में बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ता है इसलिए इसके उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना अत्यन्त आवश्यक है और इसके लिए तिलहनों तथा ऑयल पाम का उत्पादन बढ़ाना जरुरी है।
मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री जब अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गए थे तब उन्होंने खाद्य तेलों में भारत की आत्मनिर्भरता के महत्व को रेखांकित किया था। उन्होंने मिशन पाम ऑयल पर विशेष जोर दिया था जो केन्द्र सरकार द्वारा संचालित एक विशेष अभियान है।
इसमें खासकर पूर्वोत्तर राज्यों में पाम के नए-नए बागान लगाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस मिशन के तहत पहली तेल मिल का उद्घाटन भी किया था।
प्रधानमंत्री के अनुसार मिशन पाम तेल भारत को खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा और इससे उत्पादकों की आमदनी भी बढ़ेगी। किसानों को अधिक से अधिक क्षेत्रफल में पाम का बागान लगाने के लिए प्रेरित प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इसी तरह केन्द्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, तिल एवं सूरजमुखी जैसी तिलहन फसलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक बेहतर रणनीति बनाई जाएगी। घरेलू स्रोतों से तिलहन-तेल का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।