iGrain India - हैदराबाद । दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्य- तेलंगाना में भू-जल के लगातार घटते स्तर तथा बांधों-जलाशयों में पानी के भारी अभाव के कारण रबी कालीन धान की फसल के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
फसल प्रगति के महत्वपूर्ण चरण में किसान उसकी सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं जिससे इसके उत्पादन में 15-20 प्रतिशत तक गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। बांधों-जलाशयों में पानी का स्टॉक काफी घट गया है और भू जल तथा भूमिगत जल का स्तर भी नीचे हो गया है।
उल्लेखनीय है कि देश में रबी सीजन के दौरान धान का सर्वाधिक उत्पादन तेलंगाना में ही होता है। चालू सीजन के दौरान वहां इसका उत्पादन क्षेत्र 51 लाख एकड़ के करीब ही पहुंच सका जो पिछले सीजन के क्षेत्रफल 57 लाख एकड़ से कम है।
वर्तमान समय में धान की फसल को सिंचाई की सख्त आवश्यकता है क्योंकि उसमें घना लगने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस फसल को तीन बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है।
पिछले साल फरवरी में भूजल का स्तर औसतन 7.30 मीटर रहा था जो इस वर्ष घटकर 8.70 मीटर हो गया। कहने का मतलब यह है कि गत वर्ष 7.30 मीटर नीचे (जमीन के अंदर) पानी मिल रहा था मगर इस बार 8.70 मीटर की गहराई में पानी प्राप्त हो रहा है।
इसी तरह प्रमुख बांधों- जलाशयों में पानी का भंडार स्तर घटकर अब 270 टीएमसी पर आ गया है जो पिछले साल 413 टीएमसी था। इस बार खरीफ सीजन की अवधि एक माह बढ़ने के कारण रबी सीजन एक माह देर से शुरू हुआ। मार्च करीब आधा बीत चुका है और फसल को दो-तीन चरणों में सिंचाईं की आवश्यकता है मगर राज्य के विभिन्न भागों में इसकी कमी महसूस की जा रही है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि तेलंगाना में बांधों- जलशयों का जाल बिछा दिया गया है और पिछले तीन वर्षों से वहां खरीफ के साथ-साथ रबी सीजन में भी धान के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होती रही मगर इस बार क्षेत्रफल घट गया।