iGrain India - नई दिल्ली । भारत में 2023-24 के रबी सीजन में मसूर का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 19.57 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो 2022-23 सीजन के क्षेत्रफल 18.52 लाख हेक्टेयर से 1.03 लाख हेक्टेयर या 5.67 प्रतिशत अधिक है।
मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में मसूर की नई फसल की छिटपुट कटाई-तैयारी शुरू हो गई है जबकि होली पर्व के बाद मंडियों में इसके नए माल की आपूर्ति तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। शुरूआती कटाई से संकेत मिलता है कि कहीं-कहीं उपज दर में कमी आई है लेकिन फिलहाल कुछ उत्पादन के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में मसूर का घरेलू पिछले साल के मुकाबले 5 प्रतिशत बढ़कर इस बार 16.40 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि वास्तविक उत्पादन 14 लाख टन के आसपास हो सकता है।
ध्यान देने की बात है कि भारत में मसूर की औसत वार्षिक खपत 23-24 लाख टन की होती है जबकि प्रत्येक वर्ष इसमें इजाफा हो रहा है। सरकार ने मसूर के शुष्क मुक्त आयत की समय सीमा को 31 मार्च 25 तक बढ़ा दिया है जो कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया के लिए मान्य है।
अमरीकी पूल के मसूर पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए सरकार से आग्रह किया गया है जबकि वहां से भारत में इसका आयात आरंभ हो चुका है। रूप से मसूर के आयात की अनुमति केवल 30 जून 2024 तक के लिए दी गई है।
सरकारी एजेंसी- नैफेड तथा एनसीसीएफ के पास करीब 6.50-7.00 लाख टन चावल मसूर का स्टॉक मौजूद है जिसकी खरीद वर्ष 2022 एवं 2023 में की गई थी। भारत में मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जो 739 डॉलर प्रति टन के समतुल्य है।
उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद एवं सुस्त मांग के कारण मसूर का घरेलू बाजार भाव नरम पड़ गया है। पिछले दिन इसका दाम 6000/6050 रुपए प्रति क्विंटल (करीब 690 डॉलर प्रति टन) दर्ज किया गया।
कनाडा में दिसम्बर - अक्टूबर डिलीवरी के लिए लाल मसूर का निर्यात मूल्य 695-700 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है जिसमें न्हावा शेवा बंदरगाह तक की पहुंच का खर्च शामिल है।