iGrain India - मास्को । काला सागर क्षेत्र में अवस्थित देश- रूस में अप्रैल-मई में मसूर की बिजाई होगी और अगस्त-सितम्बर में इसकी नई फसल की कटाई-तैयारी तथा मार्केट में आवक शुरू हो जाएगी।
चालू वर्ष के दौरान वहां हरी मसूर के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है और मसूर के कुल उत्पादन क्षेत्र में इसकी भागीदारी बढ़कर 70 प्रतिशत तक पहुंच सकती है
क्योंकि लाल मसूर की तुलना में हरी मसूर का भाव काफी ऊंचा रहने से किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो वर्ष 2024 में रूस में मसूर का कुल उत्पादन बढ़कर 2.50-3.00 लाख टन पर पहुंच सकता है जो 2023 के अनुमानित उत्पादन 1.50 लाख टन से लगभग दोगुना होगा।
रूस में लाल मसूर का स्टॉक तेजी से घटते हुए अब नगण्य रह गया है और इसलिए इसका निर्यात लगभग बंद हो गया है। जो थोड़ा-बहुत स्टॉक बचा हुआ है उसका सीएनएफ ऑफर मूल्य मध्य-पूर्व देशों के लिए 685-690 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है।
इसी तरह रूस में हरी मसूर का स्टॉक भी कम बचा है और इसका सांकेतिक निर्यात ऑफर मूल्य भारत तथा मध्य पूर्व के देशों के लिए सीएनएफ आधार पर 1300-1320 डॉलर प्रति टन चल रहा है।
इस ऊंचे मूल्य स्तर पर आयातक इसकी खरीद में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं और हाल के दिनों में इसका कारोबार होने की कोई सूचना भी नहीं मिली है।
ध्यान देने की बात है कि भारत में रूस से मसूर के आयात की अनुमति 30 जून 2024 तक के लिए ही दी गई है जबकि तब तक वहां इसकी बिजाई ही समाप्त होगी।
यदि समयवधि आगे नहीं बढ़ाई गई तो रूस की अगली नई फसल को मसूर का भारत में आयात संभव नहीं हो पाएगा रूस की मुद्रा (रूबल) तथा अमरीकी डॉलर की विनिमय दर में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। पिछले सप्ताह एक अमरीकी डॉलर का मूल्य 86.85 से 91.73 रूबल के बीच दर्ज किया गया। रूस की मसूर में फायटो सैनिटरी की समस्या बनी रहती है।