iGrain India - नई दिल्ली । नीति आयोग के एक पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में लोगों की खाद्य शैली एवं प्राथमिकता (पसंद) में नियमित रूप से बदलाव हो रहा है जिससे महंगे खाद्य उत्पादों, दाल-दलहन, फल-सब्जी एवं पौष्टिक मोटे अनाजों की मांग एवं खपत अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है।
फलों का उत्पादन क्षेत्र 1991-92 में 28 लाख हेक्टेयर था जो 2019-20 तक आते-आते उछलकर 68 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। हालांकि उपज दर में भी वृद्धि हुई लेकिन यह केवल 1.13 प्रतिशत की बढ़ सकी।
देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कुल सामान्य खाद्यान्न के बजाए ऊंचे दाम वाले खाद्य उत्पादों को लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं। पोषक अनाजों की खपत उच्च आय वर्ग में तेजी से बढ़ रही है जबकि आगे इसकी मांग नियमित रूप से बढ़ने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अनाजों की प्रति व्यक्ति खपत सिफारिश वाले स्तर से ऊंची हो गई है लेकिन फिर भी इसकी मांग बढ़ती जा रही है। दाल-दलहनों तथा दूध जैसे प्रोटीन से समृद्ध उत्पादों की खपत में अधिक तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।
लोगों की आमदनी में हो रही वृद्धि तथा स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता इसका प्रमुख कारण है। रिपोर्ट में चावल तथा गेहूं के बजाए दलहन एवं तिलहन फसलों की खेती का दायरा बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा गया है कि इसकी सख्त आवश्यकता है। देश में मांग एवं खपत के मुकाबले दलहनों का उत्पादन कम हो रहा है जिससे इसके विशाल आयात की आवश्यकता बनी रहती है।