iGrain India - नई दिल्ली। रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल- सरसों के उत्पादन के बारे में उद्योग-व्यापार संगठनों का अनुमान 17 मार्च की शाम तक सामने आएगा। कृषि मंत्रालय पहले ही 127 लाख टन के उत्पादन की संभावना व्यक्त कर चुका है जबकि व्यापारिक आंकड़ा इससे छोटा रहेगा। फरवरी में खाद्य तेलों का आयात काफी घट गया जिससे घरेलू बाजार में कीमतों पर कुछ सकरात्मक मनोवैज्ञानिक असर देखा जा रहा है।
42% कंडीशन सरसों
8 से 14 मार्च वाले सप्ताह के दौरान 42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का दाम जयपुर में 25 रुपए सुधरकर 5550/5575 रुपए प्रति क्विंटल हो गया जबकि दिल्ली में पुरानी सरसों का भाव 25 रुपए नरम एवं नई सरसों का मूल्य 25 रुपए तेज रहा। लूज या औसत श्रेणी में सरसों की कीमत गुजरात में पुराने स्तर पर बरकरार रही मगर हरियाणा में तेज देखी गई। वहां आदमपुर मंडी में इसका भाव 430 रुपए उछलकर 5261 रुपए प्रति क्विंटल तथा हिसार में 100 रुपए बढ़कर 5000/5100 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा लेकिन फिर भी 5650 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे रहा। मध्य प्रदेश में मुरैना एवं पोरसा मंडी में कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया मगर ग्वालियर में भाव 100 रुपए बढ़कर 4800/5100 रुपए हो गया।
राजस्थान
सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- राजस्थान की मंडियों में आमतौर पर सरसों के दाम में तेजी रही और बीकानेर में यह 650 रुपए उछलकर 5200/5800 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा। अलवर तथा कोटा में भाव क्रमश: 100 रुपए एवं 200 रुपए तेज रहा। इधर उत्तर प्रदेश की हापुड़ मंडी में भी सरसों की कीमत 125 रुपए तेज होकर 5800 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गई।
सरसों तेल
सरसों का भाव बढ़ने से सरसों तेल के दाम में भी 10 से 30 रुपए का सुधार आया। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सरसों तेल एक्सपेलर का भाव दिल्ली में 10 रुपए सुधरकर 1050 रुपए तथा खैरथल में कच्ची घानी तेल का दाम 35 रुपए बढ़कर 1060 रुपए प्रति 10 किलो हो गया।
आवक
घरेलू मंडियों में सरसों की आवक बढ़ने लगी है। इसकी मात्रा 8 मार्च को 5 लाख बोरी दर्ज की गई थी जो 9 मार्च को बढ़कर 9 लाख बोरी, 11 मार्च को उछलकर 13.50 लाख बोरी पर पहुंची। मालूम हो कि सरसों की प्रत्येक बोरी 50 किलो की होती है।