iGrain India - नई दिल्ली। चालू सीजन के दौरान देश में जीरे की पैदावार गत वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी। होने के कारण कीमतों में गिरावट बनी हुई है और हाल-फिलहाल कीमतों में तेजी की संभावना भी नहीं है। सूत्रों का मानना है कि अप्रैल माह के दौरान राजस्थान की मंडियों में नए मालों की आवक का दबाव बनने पर वर्तमान कीमतों में 20/25 रुपए प्रति किलो का ओर मन्दा आ जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष देश में जीरा का उत्पादन कम होने के कारण कीमतों में रिकॉर्ड तेजी दर्ज की गई और उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर जीरे के भाव 620/630 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर बोले जाने लगे थे। जिस कारण प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात एवं राजस्थान में इस वर्ष जीरे की बिजाई का क्षेत्रफल बढ़ा बिजाई के पश्चात मौसम भी फसल के अनुकूल रहा। जिस कारण से उत्पादन अधिक होने के साथ-साथ क्वालिटी भी बेहतर आ रही है।
आवक घटी
जीरे की लगातार गिरती कीमतों के कारण किसानों ने माल रोकना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि गुजरात की ऊंझा मंडी में नए जीरे की दैनिक आवक 50/55 हजार बोरी की हो गई थी जोकि वर्तमान में घटकर 32/33 हजार बोरी की रह गई है। गत दिनों गुजरात की मंडियों में जीरे की दैनिक आवक बढ़कर लगभग 1 लाख बोरी की हो गई थी जोकि वर्तमान में घटकर 60/62 हजार बोरी की रह गई है। आवक घटने का प्रमुख कारण जीरे की गिरती कीमतों को माना जा रहा है। क्योंकि गत सीजन के ऊंचे भाव भी किसानों ने देखे हैं। अतः किसानों ने माल रोकना शुरू कर दिया है।
घटेंगे भाव
सूत्रों का मानना है कि होली पर्व के पश्चात गुजरात के अलावा राजस्थान की मंडियों में भी नए जीरे की दैनिक आवक बढ़नी शुरू हो जाएगी। जिस कारण से वर्तमान कीमतों में अभी गिरावट बनी रहेगी। व्यापारियों का मानना है कि गुजरात की मंडियों में वर्तमान में जीरे के भाव 24000/28000 रुपए प्रति क्विंटल बोले जा रहा हैं जोकि अप्रैल में घटकर 22000/25000 रुपए बन जाने चाहिए। इससे अधिक मंदे की संभावना नहीं है। क्योंकि भाव घटने के कारण निर्यातकों के अलावा लोकल स्टॉकिस्टों की मांग में भी वृद्धि होगी। क्योंकि वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों में पुराने जीरे का स्टॉक लगभग समाप्त हो चुका है। अतः आगामी दिनों में स्टॉकिस्टों की लिवाली भी बढ़ेगी।
उत्पादन अनुमान
चालू माह के शुरू में फिस्स द्वारा आयोजित सेमिनार में जीरा उत्पादन के अनुमान 1 करोड़ बोरी से अधिक लगाए गए है। हालांकि गत वर्ष का व्यापारिक उत्पादन के अनुमान 52/55 लाख बोरी के लगाए जा रहे हैं लेकिन सेमिनार में गत वर्ष उत्पादन का आंकड़ा 60 लाख बोरी के आसपास दर्शाया गया है। गत वर्ष कीमतों में आई रिकॉर्ड तेजी के कारण बिजाई का क्षेत्रफल 12.64 लाख हेक्टेयर का हो गया जबकि जबकि गत वर्ष बिजाई 7.73 लाख हेक्टेयर पर की गई थी। देश में जीरे का मुख्यत उत्पादन गुजरात एवं राजस्थान में होता है। चालू सीजन के दौरान गुजरात में जीरा उत्पादन 45/46 लाख बोरी माना जा रहा है जबकि गत वर्ष उत्पादन 22/23 लाख बोरी का रहा था। राजस्थान में इस वर्ष उत्पादन 56/57 लाख बोरी होने के अनुमान लगाये गए हैं जबकि गत वर्ष उत्पादन अनुमान 36/37 लाख बोरी (प्रत्येक बोरी 55 किलो) के थे।
कीमतों में गिरावट
हालांकि चालू सप्ताह के दौरान उत्पादक केन्द्रों पर जीरे की दैनिक आवक घटी है लेकिन हाजिर में उठाव कम होने के कारण कीमतों में गिरावट रही। प्रमुख मंडी ऊंझा में जीरे के भाव चालू सप्ताह के दौरान 315 रुपए प्रति किलो मंदे के साथ बोले गए। अन्य मंडियों में भी कीमतें मंदी रही। वर्तमान में गुजरात की मंडियों में सूखे मालों की आवक हो रही लेकिन राजस्थान की मंडियों में अभी नए मालों में नमी की मात्रा आ रही है।
निर्यात
गत वर्ष कीमतों में रिकॉर्ड तेजी आने के कारण जीरा निर्यात में गिरावट दर्ज की गई। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसम्बर 2023 में जीरा का निर्यात 106905.4 टन का हुआ है जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में निर्यात 146089.95 टन का किया गया था। हालांकि भाव घटने के कारण जनवरी 2024 के दौरान जीरा निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है। जनवरी 2023 में जीरा का निर्यात 9325 टन का रहा था जोकि जनवरी में बढ़कर 14094 टन का हो गया।