iGrain India - मुम्बई । केन्द्र सरकार ने 2023-24 के मार्केटिंग सीजन हेतु अरहर (तुवर) का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है जबकि इसका थोक मंडी भाव उससे करीब 50 प्रतिशत ऊपर चल रहा है।
इसके फलस्वरूप सरकारी एजेंसियों को प्रचलित बाजार भाव पर सीधे किसानों से इस महत्वपूर्ण दलहन की खरीद काने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार 10 लाख टन दलहन का बफर स्टॉक बनने का इरादा रखती है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार से सरकारी एजेंसियों - नैफेड तथा (एनसीसीएफ) द्वारा अभी तक किसानों से सिर्फ 20,000 टन तुवर की खरीद की जा सकी है जबकि उसकी शुरुआत जनवरी के प्रथम सप्ताह से ही शुरू हो गई थी।
उस समय सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर प्रचलित बाजार भाव पर तुवर खरीदने के लिए एक डायनामिक प्राईज फार्मूला लांच किया था।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक किसानों से बाजार भाव पर दलहनों की खरीद के लिए सरकरी एजेंसियां इच्छुक तो हैं और इसके लिए प्रयास भी कर रही हैं लेकिन बफर स्टॉक के लिए विशाल मात्रा में तुवर खरीदना आसान नहीं होगा क्योंकि किसानों को खुले बाजार म बेहतर मूल्य प्राप्त हो रहा है।
सरकार दलहनों का भारी भरकम स्टॉक बनाना चाहती है ताकि कीमतों में होने वाली अप्रत्याशित वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए बाजार में सही समय पर हस्तक्षेप करने में सहायता मिल सके।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में अरहर की आपूर्ति पहले ही पीक स्तर पर पहुंच चुकी है लेकिन फिर भी इसका दाम 10,400 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा है। तुवर के नए माल की आवक एक महीना और होगी और उसके पास इसकी रफ्तार धीमी पड़ती जाएगी। ऊंचे बाजार भाव की उम्मीद से किसान अब भी तुवर का स्टॉक रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
तुवर की मांग एवं आपूर्ति के बीच भारी अंतर बना हुआ है। इस बार 33 लाख टन से कुछ अधिक तुवर के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया गया है जबकि खपत 45 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। वर्ष 2023 में करीब 7.70 लाख टन तुवर का विदेशों से आयात किया गया।