iGrain India - नई दिल्ली । स्वदेशी खाद्य उद्योग एवं व्यापार की एक अग्रणी संस्था- इन्डियन वैजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इवपा) ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से जीएसटी के अंतर्गत खाद्य तेलों के लिए इन्वर्टेड शुल्क ढांचे के तहत रिफंड पर लगी रोक को समाप्त करने का आग्रह करते हुए कहा है कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है और इस पर जल्दी से जल्दी ध्यान दिया जाना चाहिए। खाद्य तेल उद्योग पर इसका गहरा असर पड़ रहा है।
इवपा के अनुसार 28 जून 2017 को जारी एक अधिसूचना की अनुसूची 1 के प्रवेश नंबर 78 से 90 के अनुरूप खाद्य तेलों की आपूर्ति पर 2.5 प्रतिशत की दर से जीएसटी मान्य होगी।
इसी तरह के प्रावधान स्टेट जीएसटी एक्ट 2017 के तहत भी मौजूद है। इसमें खाद्य तेलों की आपूर्ति पर 2.5 प्रतिशत का जीएसटी लागू है। इस तरह उद्योग को कुल मिलाकर 5 प्रतिशत का जीएसटी चुकाने के लिए कहा गया था।
यह मामला खाद्य तेलों की आने वाली आपूर्ति पर लगे इन्वर्टेड शुल्क ढांचे के कारण उत्पन्न हुआ है। वस्तुतः उद्योग को तेल को खाद्य श्रेणी में बनाने से पूर्व विभिन्न मूल्य संवर्धन जरूरतों के लिए सम्बन्धित वैंडर्स द्वारा 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत,
18 प्रतिशत या 28 प्रतिशत की दर से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है जबकि उद्योग को बहिर्गामी आपूर्ति पर 5 प्रतिशत की दर से टैक्स चुकाना पड़ता है इन्वर्टेड शुल्क ढांचा का मामला उस समय उत्पन्न होता है जब वस्तुओं की आने वाली आपूर्ति पर टैक्स की दर बहिर्गामी आपूर्ति पर लगने वालों हैं टैक्स की दर ऊंची हो जाती है।
मूल्य संवर्धन की वजह से ऐसा होता है। इसके अलावा पैकेजिंग, कंज्यूमेबल, स्पेयर, सर्विसेज, मार्केटिंग एवं विज्ञापन तथा पूंजीगत व्यय जैसे करक भी इसेक लिए जिम्मेदार है। इन इनपुट पर 12 से 28 प्रतिशत तक का टैक्स लगाया है। वित्त मंत्री से टैक्स संरचना की इस विसंगति को तत्काल दूर करने का आग्रह किया गया है।