iGrain India - नई दिल्ली । सरकारी गोदामों में 1 मार्च 2024 को गेहूं का स्टॉक घटकर 97 लाख टन के आसपास रह गया जो पिछले सात वर्षों का न्यूनतम स्तर है। मध्य मार्च तक गेहूं की सरकारी खरीद आरंभ नहीं हो पाई जबकि उत्तर प्रदेश में 1 मार्च से तथा राजस्थान में 10 मार्च से खरीद की प्रक्रिया शुरू करने का निश्चय किया गया था।
समझा जाता है कि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 94.10 लाख टन की रिकॉर्ड बिक्री होने से बफर स्टॉक में गेहूं की मात्रा काफी घट गई। पिछले साल गेहूं की घरेलू पैदावार कम हुई थी और सकरारी खरीद भी नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह गई थी।
इसके बावजूद सरकार को ऊंचे बाजार भाव को नियंत्रित करने के लिए अपने स्टॉक से भारी मात्रा में इसकी निकासी करने के लिए विवश होना पड़ा।
चालू रबी सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के बिजाई क्षेत्र में कुछ इजाफा हुआ है और गर्मी झेलने वाली किस्मों की खेती अधिक क्षेत्रफल में हुई है। इस बार फरवरी में तापमान भी सामान्य रहा।
इसे देखते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 सीजन के दौरान 1120 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है। लेकिन इसकी खरीद का लक्ष्य केवल 300-320 लाख टन का ही नियत किया है जो 2022-23 के 341.50 लाख टन तथा 2021-22 सीजन के 444 लाख टन से बहुत कम है।
हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद में कुछ बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि इसके लिए सरकार पहले से ही सजग-सतर्क है लेकिन इसकी मात्रा कहां तक पहुंचती है यह देखना दिलचस्प होगा।
खुले बाजार बिक्री योजना को केवल प्रमुख उत्पादक राज्यों के लिए स्थगित किया गया है जबकि अभावग्रस्त प्रांतों के लिए गेहूं का न्यूनतम आरक्षित मूल्य बढ़ाकर 2275-2300 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है। दक्षिणी राज्यों एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र में गेहूं का उत्पादन नहीं या नगण्य होता है।
गेहूं की भंडारण सीमा का समय 31 मार्च 2024 तक नियत है। यदि इसे आगे बढ़ाया गया तो व्यापारियों-स्टॉकिस्टों की सक्रियता घट जाएगी।