iGrain India - नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों से फरवरी-मार्च के ऊंचे तापमान के कारण रबी फसलों और खासकर गेहूँ की फसल को नुकसान होता रहा है। इस बार भी इसकी आशंका बनी हुई थी। उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में अभी तक भयंकर गर्मी का प्रकोप नहीं रहा है इसलिए गेहूं की फसल को कस्ती की आशंका कम है। पूर्वी भारत मैं भी मौसम काफी हद तक फसल के अनुकूल रहा है लेकिन मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं रही।
नई दिल्ली स्थित एक अनसंधान संस्थान के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं बिहार में गेहूं की फसल उत्साहवर्धक स्थिति में है। वहां औसत उपज दर ऊंची रहने तथा कुल पैदावार बेहतर होने के आसार है। संस्थान के प्रमुख कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश तथा राजस्थान के कुछ भागो में फसल की हालत अपेक्षाकृत कुछ कमजोर है। पश्चिमोत्तर एवं पूर्वी राज्यों में मार्च के दौरान उच्चतम तापमान सामान्य स्तर के आस-पास ही रहा मगर अप्रैल से यह ऊंचा रह सकता है। मध्यवर्ती एवं पश्चिमी राज्यों में ठंडे मौसम की शुरुवात देर से हुई। गेहूं के पौधों से फूल लगने, दाना बनने एवं उसके परिपक्व होने में 75-80 दिनों का समय लगना चाहिए मगर वहां 60-70 दिनों में ही इसकी प्रक्रिया पूरी होती दिख रही है।
हार नवंबर-दिसंबर 2023 के दौरान पश्चिमोत्तर राज्यों और पूर्वी भारत में भी तापमान सामान्य स्तर से ऊंचा रहा था मगर इसकी तीव्रता और अवधि ज्यादा नहीं थी। मध्यवर्ती भारत में इस बार गेहूं की बिजाई जल्दी हो गई थी जबकि अन्य क्षेत्रो में देर से हुई। केंद्र सरकार ने इस बर्ष 1120.20 लाख टन गेहूं के रिकार्ड घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है और कुछ क्षेत्रों में इसकी नई फसल की छिटपुट कटाई तैयारी भी आरम्भ हो गई है। अगले महीने से देश के सभी उत्पादक राज्यों में कटाई शुरू हो जाएगी और सरकारी खरीद भी जोर पकड़ने लगेगी।