iGrain India - कोच्चि । प्रमुख उत्पादक राज्यों- केरल तथा तमिलनाडु में लम्बे समय से अच्छी वर्षा नहीं होने तथा तापमान ऊंचा रहने से छोटी (हरी) इलायची की फसल प्रभावित हो रही है।
इसके फलस्वरूप आगामी मार्केटिंग सीजन में इसका उत्पादन घटने की संभावना है। इलायची का नया मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर अगस्त से शुरू होकर अगले साल जुलाई तक चलता है मगर नए माल की आवक जून-जुलाई में ही आरंभ हो जाती है।
केरला के इडुक्की, वायनाड एवं पठानमथिट्टा जैसे प्रमुख उत्पादक इलाकों में न केवल वर्षा का अभाव है बल्कि अन्य जल स्रोतों में भी पानी का पर्याप्त भंडार मौजूद नहीं है जिससे इलायची के बागानों की सिचांई करने से किसानों को भारी कठिनाई हो रही है।
वर्तमान मार्केटिंग सीजन (2023-24) का अंतिम चरण होने से नीलामी केन्द्रों में इलायची की आवक घटने लगी है और खरीदार भी ऊंचे दाम पर केवल सीमित मात्रा में इसकी खरीद करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
इसके फलस्वरूप इलायची का औसत नीलामी मूल्य में कुछ कमी आ गई है। 29 अप्रैल को आयोजित नीलामी में छोटी इलायची का औसत मूल्य 2321 रुपए प्रति किलो से कुछ ऊपर रहा था जो चालू सप्ताह की नीलामी में घटकर 1997 रुपए प्रति किलो रह गया। इलायची की आवक भी 48 टन से कुछ अधिक रही।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार केरल एवं तमिलनाडु के प्रमुख उत्पादक इलाकों में इस बार मानसून-पूर्व की बारिश का भारी अभाव देखा जा रहा है और बांधों- जलाशयों में भी पानी का स्तर घटकर काफी नीचे आ गया है।
इससे इलायची की फसल को खतरा होने की आशंका है। यदि शीघ्र ही वहां अच्छी नहीं वर्षा नहीं हुई तो न केवल उत्पादन में कमी आएगी बल्कि इलायची के दाने की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है।
इसके फलस्वरूप अगले मार्केटिंग सीजन में 7 मि०मी० से बड़े दाने वाली इलायची का अभाव महसूस हो सकता है जिससे कीमतों में तेजी का माहौल बन सकता है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के 10 महीनों में देश से छोटी इलायची का निर्यात घटकर 4447.30 टन पर अटक गया जिससे 702.82 करोड़ रुपए की आमदनी हुई।
इसके मुकाबले अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के दौरान 756.87 करोड़ रुपए मूल्य की 6447.89 टन इलायची का निर्यात हुआ था।