iGrain India - नई दिल्ली । पिछले अनेक महीनों से दाल-दलहन का घरेलू बाजार भाव ऊंचा रहने से सरकार की चिंता एवं आम उपभोक्ताओं की कठिनाई काफी बढ़ गयी है।
कीमतों को नीचे लाने तथा आपूर्ति पक्ष को मजबूत बनाने के उद्देश्य से हाल के महीनों में सरकार ने अनेक नीतिगत एवं एहतियाती कदम उठाए हैं।
जिसमें पीली मटर एवं देसी चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देना भी शामिल है। समीक्षकों का मानना है कि शुल्क मुक्त आयात की वजह से चना का भाव आगामी समय में कुछ नरम पड़ सकता है लेकिन तुवर एवं उड़द के दाम में नरमी आना मुश्किल है।
महाराष्ट्र की अकोला थोक मंडी में चना का भाव 6175-6200 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है जो केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 5440 रुपए प्रति क्विंटल से काफी ऊंचा है।
चालू माह के आरम्भ की तुलना में चना का दाम 150 रुपए प्रति क्विंटल नीचे आया है। दूसरी ओर इसी अवधि में वहां तुवर का भाव 100 रुपए सुधरकर 11,800-11,850 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
सरकार ने चना का उत्पादन गत वर्ष के 123 लाख टन से घटकर इस बार 121.60 लाख टन रह जाने का अनुमान लगाया है जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि वास्तविक उत्पादन 80-90 लाख टन से अधिक नहीं हुआ है। चना फसल की कटाई-तैयारी पहले ही समाप्त हो चुकी है मगर मंडियों में आवक बहुत कम हो रही है।
कम बारिश, ऊंचे तापमान एवं बिजाई क्षेत्र में गिरावट के कारण चना का उत्पादन प्रभावित हुआ है और किसान भी आगे कीमत बढ़ने की उम्मीद से इसका स्टॉक अपने पास ही रोकने का प्रयास कर रहा है।
इसके फलस्वरूप मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस दलहन की आवक कम हो रही है। अप्रैल 2024 में केवल 3.65 लाख टन चना की आवक हुई जो मार्च के मुकाबले 18.4 प्रतिशत तथा अप्रैल 2023 की तुलना में 15 प्रतिशत कम रही।
घरेलू मांग एवं जरुरत को पूरा करने के लिए भारत को विदेशों से विशाल मात्रा में दलहनों का आयात करना पड़ रहा है। पिछले साल करीब 295 लाख टन दलहनों की घरेलू खपत हुई थी जो चालू वर्ष में बढ़कर 310 लाख टन पर पहुंच जाने की सम्भावना है।
2022-23 की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान दलहनों के आयात पर होने वाला खर्च करीब दोगुना बढ़कर 3.74 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
इसी तरह दलहनों के आयात की मात्रा भी 24.5 लाख टन से उछलकर 2023-24 में 45 लाख टन को पार कर जाने का अनुमान है।