iGrain India - नई दिल्ली । अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने कहा है कि 100 प्रतिशत टूटे चावल तथा गैर बासमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाने तथा सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू होने के बावजूद भारत दुनिया में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है और आगे भी इस पोजीशन पर बरकरार रहेगा।
उस्डा ने 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में भारत से लगभग 180 लाख टन चावल के निर्यात का अनुमान लगाया है जो 2023-24 सीजन के निर्यात से करीब 20 लाख टन ज्यादा है।
उस्डा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय चावल का निर्यात वैश्विक बाजार में बहुत बड़े भाव पर कब्जा बनाए रखेगा। मगर यह 2021-22 के रिकॉर्ड शिपमेंट 220 लाख टन से काफी पीछे रह जाएगा।
अगर सफ़ेद चावल एवं टुकड़ी चावल के निर्यात की अनुमति दी गयी तो कुल शिपमेंट 200 लाख टन की सीमा को पार कर सकता है।
2024-25 सीजन के दौरान विश्व स्तर पर चावल के कारोबार, उपयोग, बकाया अंतिम स्टॉक तथा कुल आपूर्ति में इजाफा होने का अनुमान उस्डा ने लगाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक प्सिहले साल की तुलना में 2024-25 सीजन के दौरान चावल का वैश्विक उत्पादन बढ़कर 52.76 करोड़ टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है जिससे पिछले स्टॉक में कमी के बावजूद कुल उपलब्धता में बढ़ोत्तरी होगी। इसबार मुख्यतः भारत, चीन, बांग्लादेश एवम इंडोनेशिया जैसे देशों में चावल का उत्पादन बढ़ने के असार हैं।
चावल की वैश्विक खपत भी बढ़कर 2024-25 में 52.64 करोड़ टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है जो कुल उत्पादन 52.76 करोड़ टन से 12 लाख टन कम है।
इसके फलस्वरूप अंतिम अधिशेष स्टॉक में इजाफा होगा। 2024-25 सीजन के दौरान फिलिपीन्स, भारत, इंडोनेशिया एवं बांग्लादेश आदि में चावल की खपत बढ़ने की उम्मीद है।
चीन में खपत घटने की सम्भावन है। चावल का वैश्विक व्यापार कुछ बढ़कर 538 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है लेकिन फिर भी यह 2022-23 की तुलना में कुछ कम है।