iGrain India - नई दिल्ली । तमाम कोशिशों के बावजूद मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद का प्रदर्शन काफी हद तक विनाशजनक बना हुआ है मगर पंजाब-हरियाणा में खरीद की स्थिति काफी हद तक सुधर ई है।
पिछले साल के मुकाबले चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान मध्य प्रदेश में 10 मई तक गेहूं की खरीद 35 प्रतिशत घटकर 43 लाख टन पर सिमट गई जबकि पंजाब में 2 प्रतिशत सुधरकर 120 लाख टन एवं हरियाणा में 11 प्रतिशत बढ़कर 69 लाख टन पर पहुंच गई।
मध्य प्रदेश में इस बार प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से गेहूं की उपज दर, पैदावार एवं गुणवत्ता प्रभावित हुई है। हालांकि वहां किसानों से 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा जा रहा है जिसमें 2275 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा 125 रूपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस शामिल है।
इसके साथ-साथ सरकार ने गेहूं की क्वालिटी से सम्बन्धित नियमों-शर्तों में भारी राहत भी प्रदान की है। इसके बावजूद किसान सरकारी कार्य केन्द्रों पर अपना उत्पाद बेचने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं और गेहूं का स्टॉक पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्हें उम्मीद है कि आगामी महीनों में गेहूं का घरेलू बाजार भाव ऊंचा होगा कर तब अच्छी आमदनी प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
समझा जाता है कि सरकारी क्रय केन्द्रों पर पहुंचने वाले गेहूं का अधिकांश भाग हल्की क्वालिटी का है और इसकी खरीद भी 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है जबकि किसान अच्छी क्वालिटी के गेहूं का स्टॉक अपने पास रखे हुए है जिसे लीन या ऑफ सीजन के दौरान मंडियों में उतारा जा सकता है।
मध्य प्रदेश में इस बार 80 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जानकारों के अनुसार सरकारी क्रय केन्द्रों पर हो रही धीमी आवक को देखते हुए इसकी सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह जाने की संभावना है।
पंजाब में 130 लाख टन तथा हरियाणा में 80 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया। राजस्थान में 20 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश में 60 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य नियत हुआ है।
वहां भी लक्ष्य अभी बहुत दूर है। देश के सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में फसल की कटाई-तैयारी लगभग समाप्त हो चुकी है।