iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पिछले साल के 5335 रुपए प्रति क्विंटल से 105 रूपए बढ़ाकर इस बार 5440 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है मगर इसका थोक मंडी भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर चल रहा है। इसके फ़लस्वरूप केन्द्रीय बफर स्टॉक के लिए सरकार को चना की खरीद में ज्यादा सफलता नहीं मिल रही है।
सरकार ने अपनी दो अधीनस्थ एजेंसियों- नैफेड तथा एनसीसीएफ को न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चना का एक ऐसा निश्चित भाव निर्धारित करने के लिए कहा है जो किसानों के लिए आकर्षक हो और वे सरकार को अपना स्टॉक बेचने के लिए अच्छी दिलचस्पी दिखाए।
घरेलू प्रभाग में चना की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने 3 मई को देसी चना के आयात को 31 अक्टूबर 2024 तक शुल्क मुक्त कर दिया।
लेकिन यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया जब निर्यातक देशों में चना का सीमित स्टॉक रह गया है। आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया चना के दो शीर्ष निर्यातक देश हैं। यदि वहां से भारत में अपेक्षित मात्रा में देसी चना का आयात होता है तो इसकी कीमतों में थोड़ी नरमी आ सकती है।
ध्यान देने की बात है कि भारत में आमतौर पर अगस्त माह से त्यौहारी सीजन शुरू हो जाता है जिसमें बेसन की अच्छी मांग रहती है।
सरकार उससे पूर्व ही डेढ़-दो लाख टन चना का आयात सुनिश्चित करना चाहती है ताकि बाजार पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला जा सके और किसानों को मंडियों में जल्दी-जल्दी अपना स्टॉक उतारने के लिए विवश होना पड़े।
दिलचस्प तथ्य यह है कि बाजार भाव एमएसपी से काफी ऊपर होने के बावजूद थोक मंडियों में चना की भरपूर आवक नहीं हो रही है।
यह निश्चित हो गया है कि चना के घरेलू उत्पादन में इस बार भी गिरावट आई है और सरकार के पास इसका स्टॉक बफर के स्तर से काफी कम है। किसानों को उम्मीद है कि आगामी समय में इसका दाम कुछ और ऊपर उठ सकता है।
तुवर का भाव पहले से ही ऊंचे स्तर पर मजबूती से डटा हुआ है। इसका बकाया स्टॉक नगण्य है और अगली नई फसल अभी बहुत दूर है। जून में इसकी बिजाई आरंभ होगी और दिसम्बर-जनवरी में नया माल आना शुरू होगा।
सरकार ने 2023-24 के सीजन में करीब 33 लाख टन तुवर के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगया है जो गत वर्ष के लगभग बराबर मगर 2021-22 सीजन के शानदार उत्पादन 42 लाख टन से बहुत कम है।
म्यांमार के अलावा किसी अन्य निर्यातक देश में अभी तुवर का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है। अफ्रीका में अगस्त-सितम्बर में इसका नया माल आ गया।