iGrain India - नई दिल्ली । प्रमुख उत्पादक मंडियों में चना की समुचित आवक नही हो रही है और कीमत भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रही है। इससे सरकारी खरीद पर असर पड़ रहा है।
सरकार के पास इस महत्वपूर्ण दलहन का स्टॉक भी कम बचा है। इसे देखते हुए भारत ब्रांड नाम के तहत चना दाल की बिक्री प्रभावित होने की आशंका बढ़ती जा रही है।
हालांकि सरकार ने 31 अक्टूबर 2024 तक के लिए देसी चना के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है और अपनी दो एजेंसियों- नैफेड तथा एनसीसीएफ को समर्थन मूल्य से ऊपर के दाम पर किसानों से चना की खरीद शुरू करने का निर्देश दिया है। लेकिन इसका ज्यादा सकारात्मक परिणाम सामने आने में संदेह है।
समझा जाता है कि सरकार के पास केवल चार महीनों की जरूरतों को पूरा करने लायक चना का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नैफेड एवं एनसीसीएफ को इस बार किसानों से इसकी खरीद करने में ज्यादा सफलता नहीं मिल रही है क्योंकि इसका थोक मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है। किसानों द्वारा चना का स्टॉक रोकने की खबर भी आ रही है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारत चना दाल की भारी मांग बनी हुई है क्योंकि यह काफी सस्ते दाम पर उपलब्ध है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में चना का स्टॉक बहुत कम रह जाएगा और तब भारत चना दाल के लिए इसकी आपूर्ति करना कठिन हो सकता है। किसानों से चना की खरीद बढ़ाने के लिए सरकार को नई रणनीति बनानी होगी।
जुलाई 2023 से सरकार ने 60 रुपए प्रति किलो के रियायती मूल्य पर चना दाल की बिक्री आरंभ की थी जो उस समय में प्रचलित बाजार भाव से 18 प्रतिशत कम था।
पिछले साल सरकार ने चना दाल के लिए करीब 16.50 लाख टन साबुत चना का आवंटन किया था। इसमें से 8 लाख टन चना की निकासी पहले ही हो चुकी है। अप्रैल-जून की तिमाही के लिए तो चना का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है मगर दूसरी तिमाही में आपूर्ति की समस्या पैदा हो सकती है।