iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार घरेलू प्रभाग में खाद्य उत्पादों और खासकर दाल-दलहनों के दाम में तेजी को नियंत्रित करने के लिए लगातार गंभीर प्रयास कर रही है।
चावल, गेहूं एवं चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना, प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत का भारी-भरकम शुल्क लागू करना तथा पीली मटर एवं देसी चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देना- ऐसे उपाय है जो सरकार ने लागू किए है।
प्याज के निर्यात पर पिछले साथ के मध्य से ही प्रतिबंध लगा हुआ था जिसे अब हटा दिया गया है मगर निर्यात को नियंत्रित करने के लिए उस पर भारी-भरकम सीमा शुल्क लगाया गया है। इससे उत्पादकों को सीमित राहत मिलने की संभावना है।
जहां तक दलहन का सवाल है तो तुवर, उड़द एवं मसूर के आयात को पहले ही 31 मार्च 2025 तक के लिए शुल्क मुक्त किया जा चुका है।
इसके बाद 8 दिसम्बर 2023 को पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई और फिर 3 मई को देसी चना के आयात को भी शुल्क मुक्त कर दिया गया।
इससे पूर्व मटर पर 55 प्रतिशत एवं देसी चना पर 66 प्रतिशत का भारी-भरकम आयात शुल्क लगा हुआ था। अब पीली मटर तथा देसी चना-दोनों का शुल्क मुक्त आयात 31 अक्टूबर 2024 तक किया जा सकता है।
बंदरगाह अधिकारियों एवं सीमा शुल्क विभाग को निर्देश दिया गया है कि विदेशों से आयातित दलहनों की खेप को यथाशीघ्र क्लीयरेंस देने का प्रयास किया जाए और आयातकों को भी आयात वाले दलहनों को जल्दी से जल्दी घरेलू बाजार में उतारने के लिए कहा गया है।
इसी तरह मिलर्स, व्यापारियों-स्टॉकिस्ट एवं बिग चेन रिटेलर्स को प्रत्येक सप्ताह अपने स्टॉक विवरण का खुलासा करने का निर्दश दिया गया है।
लेकिन इन तमाम उपायों के बावजूद दाल-दलहनों की कीमतों में अपेक्षित गिरावट नहीं आने से सरकार चिंतित है। रबी कालीन दलहनों- चना मसूर एवं मटर की आवक का पीक सीजन चल रहा है जबकि मध्य प्रदेश एवं गुजरात में ग्रीष्मकालीन उड़द की नई फसल आने लगी है।