iGrain India - नई दिल्ली । अब तक प्राप्त संकेतों से पता चलता है कि पिछले दो वर्षों की भांति इस बार भी गेहूं की सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगी।
गत वर्ष 341.50 लाख टन के नियत लक्ष्य के सापेक्ष 262 लाख टन गेहूं की खरीद हुई जबकि वर्ष 2022 में कुल खरीद 188 लाख टन तक ही पहुंची थी और इसके लक्ष्य में कई बार कटौती करनी पड़ी थी। अंतिम बार 192 लाख टन का लक्ष्य रखा गया मगर वह भी हासिल नहीं हो सका।
जहां तक वर्ष 2024 के रबी मार्केटिंग सीजन का सवाल है तो 12 मई तक गेहूं की कुल सरकारी खरीद 253 लाख टन पर ही पहुंची जो वर्ष 2023 की समान अवधि की खरीद 256.82 लाख टन से 1.5 प्रतिशत पीछे थी।
सरकार ने इस बार 372.90 लाख टन गेहूं की विशाल खरीद का लक्ष्य रखा है मगर वास्तविक खरीद इससे करीब 120 लाख टन पीछे है। गेहूं की खरीद एवं आवक की रफ्तार काफी धीमी पड़ गई है।
पंजाब- हरियाणा में अधिकांश गेहूं की खरीद पूरी हो चुकी है मगर अभी तक लक्ष्य 10-11 लाख टन दूर है। सबसे बार हाल तो मध्य प्रदेश का है जहां 80 लाख टन के नियत लक्ष्य की तुलना में कुल वास्तविक खरीद 44.47 लाख टन पर पहुंची है जो पिछले साल की समान अवधि की खरीद 68.85 लाख टन से करीब 35 प्रतिशत कम है।
हालांकि उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में गत वर्ष से काफी अधिक गेहूं खरीदा गया है मगर यह नियत लक्ष्य से अभी बहुत पीछे है। इस बार इन दोनों राज्यों में खरीद का स्तर इसलिए ऊंचा प्रतीत हो रहा है
क्योंकि पिछले दो वर्षा के दौरान वहां बहुत कम या नगण्य मात्रा में गेहूं खरीदा गया था। इस बार उत्तर प्रदेश में 60 लाख टन तथा राजस्थान में 20 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित हुआ है जबकि पंजाब में 130 लाख टन एवं हरियाणा में 80 हजार टन की खरीद करने का लक्ष्य तय किया गया है।
उपरोक्त सभी पांच राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से केन्द्रीय पूल में 90 प्रतिशत से अधिक गेहूं का योगदान दिया जाता है इसलिए वहां भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा अन्य प्रांतीय एजेंसियों की सक्रियता सबसे ज्यादा रहती है। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय पूल के लिए 90 प्रतिशत से अधिक गेहूं की खरीद अप्रैल-मई के दो महीनों में होती है।