iGrain India - नई दिल्ली । सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2024 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगांई की दर में 1.26 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई जो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा है।
खाद्य पदार्थों एवं प्राथमिक वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण महंगाई में इजाफा हुआ। अर्थशास्त्रियों ने महंगाई दर में 1 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था।
सरकार खाद्य महंगाई पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास कर रही है मगर धरातल पर इसका सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि मार्च 2023 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रा स्फीति (महंगाई) की दर 1.41 परतात आंकी गई थी और उसके बाद अप्रैल में 2024 में यह सबसे ऊंची रही।
खाद्य पदार्थों के दाम में मार्च में 4.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जबकि अप्रैल में यह और भी बढ़कर 5.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसी तरह प्राथमिकता वस्तुओं के दाम में हुई वृद्धि भी 4.51 प्रतिशत से बढ़कर 5.01 प्रतिशत हो गई।
क्रूड खनिज तेल तथा खाद्य उत्पादों का दाम बढ़ना महंगाई का मुख्य कारण रहा। मई में महंगाई दर कुछ और बढ़ने की संभावना है। वैसे अप्रैल के वार्षिक खुदरा महंगाई दर में थोड़ी गिरावट आई लेकिन खाद्य उत्पादों का भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार रहा।
इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रैल में ब्याज दर को स्थिर रखा। हालांकि आर्थिक विकास दर में वृद्धि के संकेत मिले हैं मगर ऊंची महंगाई दर ने रिजर्व बैंक को ब्याज दर से रोक दिया।
महंगाई के लिए रिजर्व बैंक का लक्ष्य 4 प्रतिशत है जबकि वास्तविक महंगाई दर इससे ऊंची चल रही है। पहले 2024 की अंतिम तिमाही में ब्याज दर में कटौती होने का अनुमान लगाया जा रहा था
मगर अब वर्ष 2025 की पहली तिमाही में इसकी उम्मीद की जा रही है। दाल-दलहन का दाम काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है जबकि चावल, गेहूं एवं चीनी सहित अन्य खाद्य उत्पादों के मूल्य में भी नरमी नहीं आ रही है।