iGrain India - नई दिल्ली । टुकड़ी चावल एवं गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के व्यापारिक निर्यात पर लगे प्रतिबंध का परिणाम सामने आने लगा है। वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारतीय चावल के निर्यात में मात्रा की दृष्टि से 27 प्रतिशत एवं डॉलर में आमदनी की दृष्टि से 6.5 प्रतिहत की गिरावट दर्ज की गई।
बासमती चावल का निर्यात तेजी से उछलकर 52.40 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया अन्यथा चावल के कुल निर्यात में और भी गिरावट आ सकती थी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव काफी ऊंचा रहने से चावल की निर्यात आय में कम गिरावट आई।
जुलाई 2023 में सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था कर अगस्त में सेला चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू कर दिया।
अगस्त में ही बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) भी निर्धारित किया गया मगर बाद में इसे घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत किया गया।
जहां तक बासमती चावल का सवाल है तो पश्चिम एशिया एवं खाड़ी क्षेत्र के परम्परागत आयातक देशों में इसकी जबरदस्त मांग देखी गई जिसकी बदौलत 2022-23 के मुकाबले 2023-24 के वित्त वर्ष में इसकी निर्यात मात्रा में 15 प्रतिशत एवं निर्यात आमदनी में 22 प्रतिशत की शानदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में देश से 45.60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था जो 2023-24 में बढ़कर 52.40 लाख टन पर पहुंच गया।
इसी तरह इसकी निर्यात आय भी 4.78 अरब डॉलर से उछलकर 5.83 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। भारतीय मुद्रा में भी यह निर्यात आय 38,525 करोड़ रुपए से बढ़कर 48,389 करोड़ रुपए पर पहुंची।
सऊदी अरब में समीक्षाधीन अवधि के दौरान भारतीय बासमती चावल का निर्यात करीब 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 10.90 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा और वह ईरान को पीछे छोड़कर इसका सबसे प्रमुख आयातक देश बन गया।
सऊदी अरब में भारतीय बासमती चावल के निर्यात से प्राप्त आमदनी भी पिछले साल के 1.03 अरब डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 1.25 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
दूसरी ओर गैर बासमती चावल का निर्यात 2022-23 के 177.80 लाख टन से 37 प्रतिशत घटकर 2023-24 में 111.10 लाख टन पर सिमट गया जिससे इसकी आमदनी भी 28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4.57 अरब डॉलर पर अटक गई।