iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश से गैर बासमती चावल का निर्यात तेजी से उछलकर 177.80 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था जो 2023-24 के वित्त वर्ष में 37 प्रतिशत घटकर 111.10 लाख टन पर अटक गया।
अप्रैल-जून 2023 की तिमाही तक गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात जारी था मगर 20 जुलाई से इसके व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
इसके अगले माह यानी अगस्त 2023 में सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू किया गया। इसके अगले माह यानी अगस्त 2023 में सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू किया गया। 100 प्रतिशत पूरे चावल का निर्यात सितम्बर 2022 से ही बंद है।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अफ्रीकी देश बेनिन भारतीय गैर बासमती चावल का सबसे प्रमुख खरीदार रहा। लेकिन फिर भी वहां इसका आयात 2022-23 के 15.50 लाख टन से घटकर 12.80 लाख टन पर अटक गया।
इसके बाद गिनी दूसरे नम्बर पर रहा जिसने 9.10 लाख टन चावल मंगाया। 7 लाख टन के आयात के साथ टोगो तीसरे स्थान पर तथा 6.90 लाख टन के आयात के साथ वियतनाम चौथे नम्बर पर रहा। पांचवें स्थान पर कोट डी आइवरी रहा जिसने 6.10 लाख टन भारतीय गैर बासमती चावल का आयात किया।
घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने गैर बासमती चावल (सफेद) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था जो अभी तक जारी है और निकट भविष्य में इसके हटाए जाने की संभावना नहीं है। अगस्त 2023 से केवल सेला चावल का निर्यात हो रहा है जबकि बासमती चावल का शिपमेंट उससे अलग है।
गैर बासमती चावल के शिपमेंट में जोरदार गिरावट आने के बावजूद भारत वित्त वर्ष 2023-24 में दुनिया का सबसे प्रमुख चावल निर्यातक देश बना रहा।
यहां से 111.10 लाख टन ग़ैर बासमती (सामान्य) तथा 52.40 लाख टन बासमती के साथ कुल मिलाकर 163.50 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जो गत वर्ष से 27 प्रतिशत कम रहा।