iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अभी मालदीप के कुछ भागों, कोमोरीन होग, दक्षिणी बंगाल की खाड़ी, निकोबार दीपसमूह तथा दक्षिणी अंडमान सागर में न केवल सक्रिय है बल्कि सामान्य चाल से आगे भी बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार यदि रफ्तार में कमी नहीं आई तो मानसून इस बार केरल के दक्षिणी (कालीकट) तट पर सही समय पर पहुंच सकता है। मौसम विभाग ने भी कुछ इसी तरह का अनुमान लगाया है। मानसून सबसे पहले केरल में ही पहुंचता है और फिर आगे बढ़ता है।
वर्तमान गति के आधार पर इस बार मानसून 20 जून को उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर सकता है जबकि बिहार में यह आमतौर पर 15 जून तक पहुंच जाता है।
मौसम विभाग ने हाथ ही में वहां था कि चार दिन के हेरफेर के साथ मानसून इस बार 31 मई को केरल पहुंच जाएगा। दक्षिण-पश्चिम मानसून कृषि आधारित भारतीय अर्थ व्यवस्था की जीवन रेखा है और जून-सितम्बर के चार महीनों की वर्षा खरीफ फसलों के उत्पादन की रुपरेखा तैयार करती है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अब देश के विभिन्न भागों में मानसून पूर्व की वर्षा भी जोर पकड़ने लगी है जबकि मार्च-अप्रैल में इसकी भारी कमी महसूस की गई थी।
दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्ष 2023 में 8 जून को 2022 में 29 मई को, वर्ष 2021 में 3 जून को तथा वर्ष 2020 में 1 जून को केरल पहुंचा था। इस बार भी जून के प्रथम सप्ताह में इसके आने की उम्मीद है।
मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून बिहार में 15 जून, उत्तर प्रदेश में 20 से 25 जून, तथा मध्य प्रदेश में 15 से 20 जून के बीच पहुंचता है।
राजस्थान के विभिन्न भागों में इसके पहुंचने की तिथि 25 जून, 30 जून तथा 5 जुलाई मानी जाती है। महाराष्ट्र में 10 जून तथा छत्तीसगढ़ में 15 जून तक मानसून के पहुंचने की संभावना है।
इससे किसानों को खरीफ फसलों की बिजाई सामान्य ढंग से करने में सहायता मिलेगा। धान, अरहर, उड़द, मूंग, मक्का, ज्वार, बाजार रागी, सोयाबीन, मूंगफली एवं कपास तथा अरंडी आदि खरीफ सीजन की मुख्य फसलें हैं।