iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल के 256.86 लाख टन से सुधरकर इस वर्ष 257.58 लाख टन पर पहुंच गया है लेकिन यह नियत लक्ष्य 373 लाख टन से अभी बहुत पीछे है।
मालूम हो कि गत वर्ष कुल मिलाकर 262 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी जबकि इसका लक्ष्य 341.50 लाख टन नियत किया गया था।
पिछले साल की तुलना में इस बार गेहूं की खरीद पंजाब में 120.40 लाख टन से बढ़कर 123.40 लाख टन, हरियाणा में 62.90 लाख टन से उछलकर 71 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 1.96 लाख टन से उछलकर 8.60 लाख टन तथा राजस्थान में 3.50 लाख टन से बढ़कर 8.40 लाख टन पर पहुंच गई मगर मध्य प्रदेश में 68.80 लाख टन से लुढ़ककर 43.90 लाख टन रह गई।
ध्यान देने की बात है कि चालू रबी मार्केटिंग सीजन के लिए पंजाब में 130 लाख टन, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश में 80-80 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 60 लाख टन तथा राजस्थान में 20 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सामान्य वर्ष में 11 राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद होती है।
नियत लक्ष्य की तुलना में गेहूं की वास्तविक खरीद अभी करीब 115 लाख टन पीछे है जबकि प्रमुख मंडियों में एवं क्रय केन्द्रों पर इसकी आवक घटती जा रही है। इससे साल पता चलता है कि इस बार भी गेहूं की खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगी।
इससे पूर्व 2023 एवं 2022 में भी लक्ष्य की तुलना में बहुत कम गेहूं खरीदा गया था। हैरानी की बात यह है कि सरकार ने 2023-24 के सीजन में 1120.20 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है
और मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में किसानों को 2275 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर 125 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा की गई है लेकिन फिर भी खरीद की मात्रा नियत लक्ष्य से बहुत पीछे छूट रही है।
आमतौर पर मध्य मई तक 80-80 प्रतिशत गेहूं की खरीद हो जाती है। पिछले साल मई में ही खरीद की प्रक्रिया समाप्त हो गई थी। इस बार किसान स्टॉक को रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
प्राइवेट फर्मों एवं फ्लोर मिलर्स द्वारा अच्छी मात्रा में गेहूं की खरीद किए जाने की सूचना मिल रही है। गेहूं का घरेलू उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ है।
मई के अंत तक मंडियां सूनी पड़ सकती है। मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद काफी हद तक निराशाजनक रही है।