iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों एवं उद्योग- व्यापार क्षेत्र के कुछ समीक्षकों का मानना है कि चालू रबी मार्केटंग सीजन के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद अधिक से अधिक 310-320 लाख टन तक पहुंच सकती है लेकिन भारतीय खाद्य निगम के सीएमडी का कहना है कि वास्तविक खरीद 267-268 लाख टन के आसपास सिमट सकती है।
अभी तक 257-258 लाख टन गेहूं खरीदा गया है और सरकारी क्रय केन्द्रों पर हो रही सीमित आवक को देखते हुए आगामी समय में करीब 10 लाख टन की अतिरिक्त खरीद और हो सकती है।
यद्यपि सरकार ने केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न (गेहूं) का योगदान देने वाले प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में खरीद की समय सीमा पहले ही बढ़ा दी है
अगर सरकारी क्रय केन्द्रों पर इसकी आपूर्ति की रफ्तार बहुत धीमी है और ऐसा लगता है कि अब किसान सरकारी एजेंसियों को अपना गेहूं बेचने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
चूंकि 1 अप्रैल को केन्द्रीय पूल में केवल 75-76 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ था। इसलिए इसकी विशाल खरीद होना बेहद जरुरी है अन्यथा सरकार को कल्याणकारी कार्यक्रमों के साथ-साथ खुले बाजार बिक्री योजना को जारी रखने में भारी कठिनाई हो सकती है।
अकेले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत प्रतिवर्ष 184 लाख टन गेहूं की आपूर्ति की आवश्यकता पड़ती है। इसी तरह जून 2023 से फरवरी 2024 के दौरान खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 94.10 लाख टन गेहूं की निकासी हुई। अन्य योजनाओं में भी गेहूं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता पड़ती है।
नए माल की जोरदार आवक के सीजन में भी गेहूं का खुला बाजार भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे नहीं आया जबकि आगे इसके दाम में कुछ और बढ़ोत्तरी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।