iGrain India - सहरसा । मखाने के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- बिहार में प्रचंड गर्मी पड़ने तथा वर्षा का अभाव होने से फसल को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। उत्पादकों को फसल के चौपट होने की चिंता सताने लगी है।
बिहार के अनेक जिलों में मखाने की खेती बड़े पैमाने पर होती है जिसमें सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिमा, कटिहार, खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी एवं सीतामढ़ी आदि मुख्य रूप से शामिल है।
उल्लेखनीय है कि मखाना पानी के अंदर की फसल है। इसके खेत में ज्यादा से ज्यादा पानी होना आवश्यक है। लेकिन इस बार अत्यन्त ऊंचे तापमान एवं भीषण गर्मी से खेत सूखने लगे हैं जिससे फसल की प्रगति में बाधा पड़ रही है।
शुष्क एवं गर्म मौसम के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए उत्पादकों को बार-बार खेतों में सिंचाई की जा रही है जिससे लागत खर्च में इजाफा हो रहा है।
हालत यह है कि तेज धूप से खेतों में नमी जल्दी समाप्त हो जाती है और इसलिए सप्ताह में दो बार तक इसकी सिंचाई करने की आवश्यकता पड़ रही है। यदि यथाशीघ्र अच्छी बारिश नहीं हुई तो हालत बिगड़ सकती है।
पिछले साल बिहार में कुल मिलाकर मखाने का अच्छा उत्पादन हुआ था और इसलिए इसकी कीमतों पर कुछ मिलाकर मखाने का अच्छा उत्पादन हुआ था और इसलिए इसकी कीमतों पर कुछ हद तक दबाव बना रहा। इसके बावजूद उत्पादकों को अच्छी आमदनी प्राप्त हुई थी। लेकिन इस बार हालात अच्छे नहीं दिख रहे हैं।
बिहार में मखाने की खेती पहले ही हो चुकी है और जुलाई-अगस्त में इसका नया माल आने की संभावना है। यदि अगले महीने मानसून की अच्छी बारिश हुई तो फसल की हालत कुछ सुधर सकती है।
बिहार में 15 जून तक मानसून पहुंचता है और इस बार इसके सही समय पर पहुंचने की संभावना है। 20 मई से 15 जून तक की अवधि वहां मखाने की फसल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगी।