iGrain India - नई दिल्ली । भारत की जिस दो अग्रणी मसाला कंपनियों के ब्रांडेड मसाला किस्म में एथीलीन ऑक्साइड (ईटीओ) का अंश माना या स्वीकृत स्तर से ज्यादा पाए जाने के आधार पर सिंगापुर एवं हांगकांग में उसकी बिक्री रोक दी गई
उसमें से एक कम्पनी के ब्रांडेड मसालों के नमूने में सरकार को भी गुणवत्ता सम्बन्धी नियमों एवं शर्तों के पालन में कमी मिली है। भारत सरकार ईटीओ नियमों का पालन सुनिश्चित करने हेतु इन दोनों कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न देशों ने ईटीओ के लिए अलग-अलग न्यूनतम अवशेष सीमा (एमआरएल) लागू है। यूरोपीय संघ में यह सीमा 0.02-01 मिली ग्राम (एमजी) प्रति किलो नियत की गई है
जबकि सिंगापुर में 50 एमजी प्रति किलो और जापान में 0.01 एमजी प्रति किलो की सीमा निर्धारित है। सरकार ने 0.1 एमजी प्रति किलो के लिए इन नमूनों का परीक्षण करवाया था।
सरकारी परीक्षण के दौरान पाया गया कि एक कम्पनी के कुछ नमूनों (सैम्पल) में सबसे सख्त मानकों (0.1 एमजी प्रति किलो) का ठीक से पालन नहीं किया गया और उसमें एथीलीन ऑक्साइड के अवशेष का अंश इससे कुछ ज्यादा उपस्थित था।
दूसरी कम्पनी के ब्रांडेड मसालों के सैम्पल में कोई खराबी नहीं पाई गई। इसका मतलब यह हुआ कि हांगकांग एक सिंगापुर द्वारा जिन भारतीय ब्रांडेड मसालों की खेतों को वापस ले जाने के लिए कहा गया है वह पूरी तरह उचित नहीं है।
एक कम्पनी का मसाला उत्साह मानवीय स्वास्थ्य की दृष्टि से पूरी तरह सुरक्षित है और दूसरी फर्म के अधिकांश उत्पादों में भी कोई खराबी नहीं है।
एक कम्पनी के ब्रांडेड मसाला उत्पादों के 12 सैम्पल परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए थे जिनमें से कुछ ही सैम्पल में ईटीओ का अंश 0.1 मि० ग्राम प्रति किलो से अधिक पाया गया।
सरकार ने उस कम्पनी को इसके लिए एहतियाती कदम उठाने के लिए कहा है। दरअसल भारतीय मसालों की क्वालिटी बेहतरीन होती है इसलिए इसकी शिकायत मिलता ही सरकार सक्रिय हो गई थी।