iGrain India - नई दिल्ली । सरकारी एजेंसियों की अच्छी खरीद का सहारा मिलने से प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर पहुंच गया जो अब गिरकर इसके आसपास आ गया है।
पिछले दो महीने से सरसों की कीमतों में उतार-चढ़ाव का माहौल बना हुआ है। सरकार के चालू रबी मार्केटिंग सीजन के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 200 रुपए बढ़ाकर 5650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है। आमतौर पर सरकारी एजेंसियां अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान सरसों की खरीद में सर्वाधिक सक्रियता दिखाती है।
पिछले दिन जयपुर में सरसों का दाम 6050/6100 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया। सरकारी खरीद से बाजार को कुछ सहारा मिला है। हालांकि सरसों के दाम में अप्रत्यासित उछाल नहीं आया है मगर सरकारी खरीद का प्रमुख मंडियों पर सकारात्मक मनोवैज्ञानिक असर अवश्य पड़ा है।
सरसों तेल एवं खल का भाव सुधरने से तेल मिलर्स ने ऊंचे दाम पर सरसों खरीदना शुरू कर दिया था। अप्रैल के आरंभ में सरसों का भाव 5375-5400 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा था जिसमें अब करीब 200 रुपए का सुधार आ गया है।
केन्द्रीय एजेंसी- नैफेड तथा हरियाणा सरकार की अधीनस्थ एजेंसी- हैफेड द्वारा इस बार अच्छी मात्रा में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद की गई।
नेफेड द्वारा पांच राज्यों में 7.74 लाख टन सरसों की खरीद की गई। कुल मिलाकर राजस्थान में 3.51 लाख टन, हरियाणा में 3.25 लाख टन, मध्य प्रदेश में 3.65 लाख टन, गुजरात में 1.17 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश में 45 हजार टन सरसों की खरीद होने की सूचना मिल रही है।
सरकारी एजेंसियों के पास नए एवं पुराने माल को मिलाकर करीब 27.20 लाख टन सरसों का स्टॉक बन गया। आगामी महीनों के दौरान इसकी बिक्री आरंभ हो सकती है।