iGrain India - चंडीगढ़ । हालांकि पंजाब सरकार ने फसल विविधिकरण योजना के तहत राज्य में मूंग की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया था और किसानों को भरोसा दिलाया था कि उसके उपादक को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदार जाएगा लेकिन जब फसल तैयार होकर मंड्यों में आई तब वहां सरकारी एजेंसियों को कोई उपस्थिति नहीं देखी गई।
इसके फलस्वरूप किसानों को एमएसपी से 500-700 रुपए प्रति क्विंटल के कम दाम पर व्यापारियों एवं मिलर्स को अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ा। मूंग की खरीद का सीजन अब समाप्त हो चुका है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष रबी मार्केटिंग सीजन / जायद सीजन के दौरान अमृतसर में 4743 टन मूंग की आवक हुई और इसकी खरीद एमएसपी से कम दाम पर हुई।
इसी तरह बरनाला में 21,300 टन मूंग की आपूर्ति हुई और व्यापारिक खरीद समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर हुई। भटिंडा में 869 टन मूंग की आवक हुई जिसमें से 799 टन की खरीद एमएसपी से नीचे दाम पर की गई।
इसी प्रकार फरीदकोट में 48 टन की आवक में से 17 टन तथा अबोहर में 6 टन की आपूर्ति में से पूरी मात्रा की खरीद समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर की गई।
इस तरह मंडियों में आने वाली मूंग की लगभग 99 प्रतिशत की न्यूतनम समर्थन मूल्य से कम दाम पर हुई जिससे किसान काफी नाखुश हैं।
प्राइवेट व्यापरियों एवं मिलर्स द्वारा पंजाब की मंडियों में किसानों से 7800-8000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से मूंग की खरीद की गई।
मई के अंतिम दिनों से मंडियों में नए मूंग की आवक एवं खरीद शुरू हुई और जून के अंत तक कुल आवक 26,966 पर पहुंची जिसकी पूरी खरीद व्यापारियों द्वारा की गई।
इसमें से 26,865 टन या 99.62 प्रतिशत मूंग की खेती के लिए किसानों को प्रत्साहित कर रही है और इस अवधि में सरकार ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है और इस अवधि में सरकार की ओर से मार्कफेड द्वारा वर्ष 2022 में 5500 टन से कुछ अधिक मूंग की खरीद की गई।
इसमें से केन्द्रीय एजेंसी नैफेड ने केवल 2500 टन मूंग एक स्टॉक स्वीकार किया और शेष माल को खराब क्वालिटी के आधार पर नामंजूर कर दिया। इससे राज्य सरकार को 40 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।