iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस वर्ष 2 जुलाई को ही समूचे देश को कवर कर लिया और जून माह की सुस्ती तथा निष्क्रियता को पीछे छोड़ते हुए अपनी रफ्तार हासिल कर ली।
जून में मानसून की बारिश सर्वकालीन औसत से 11 प्रतिशत कम हुई थी जबकि चालू माह (जुलाई) के प्रथम सप्ताह के दौरान वर्षा 39 प्रतिशत अधिक हुई। मौसम विभाग के मुताबिक 7 जुलाई 2024 तक देश के 85 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में या तो सामान्य या उससे अधिक बारिश हुई है।
मौसम विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 1-7 जुलाई के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 78.4 मि०मी० वर्षा हुई जो इस समयावधि के लिए नियत औसत बारिश 56.3 प्रतिशत से 39 प्रतिशत अधिक है।
क्षेत्रवार आंकलन करने पता चलता है कि पूर्वी एवं पूर्वोत्तर मौसम उपखंडों में इस अवधि के दौरान सर्वाधिक 246.5 मि०मी० वर्षा हुई जो दीर्घकालीन औसत बारिश 94.4 मि०मी० से 148 प्रतिशत अधिक है।
इस मौसम उपखण्ड में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रान्त शामिल है। वहां बारिश और बाढ़ का दौर अब भी जारी है।
पश्चिमोत्तर मौसम उपखण्ड में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर शामिल है। इस उपखण्ड में 72.9 मि०मी० बारिश हुई जो समान्य औसत बारिश 35.6 मि०मी० से 105 प्रतिशत अधिक है।
इसी तरह देश के मध्यवर्ती क्षेत्र में वर्षा 64.4 मि०मी० के दीर्घकालीन औसत स्तर से 15 प्रतिशत सुधरकर 73.9 मि०मी० पर पहुंच गई।
मध्यवर्ती क्षेत्र में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा एवं गोवा जैसे प्रान्त शामिल हैं। दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत भारत में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना सम्मिलित है।
वहां भी 1-7 जुलाई के दौरान 43.6 मि०मी० बारिश हुई जो दीर्घकालीन औसत 41.6 मि०मी० से 5 प्रतिशत अधिक रही। देश के अनेक भागों में अभी मूसलाधार वर्षा का दौर जारी है।
7 जुलाई को देश में 24 प्रतिशत अधिशेष बारिश हुई जिसे मिलाकर कुल वर्षा 225.6 मि०मी० पर पहुंच गई जो दीर्घकालीन औसत 221.6 मि०मी० से 1.8 प्रतिशत अधिक रही। केवलं मध्यवर्ती क्षेत्र में 6 प्रतिशत कम बारिश हुई है। शेष भाग में अधिशेष वर्षा दर्ज की गई।