iGrain India - मुम्बई । महाराष्ट्र में चीनी मिलों को ऋण देते समय सहकारी बैंक उसके पास मौजूद चीनी के कुल स्टॉक के मूल्य का निर्धारण करता है। इसमें दो विधि अपने जा सकती है।
पहला तरीका यह है कि चीनी के मिल गेट मूल्य को आधार बनाया जाए जबकि दूसरा तरीका बाजार में प्रचलित भाव के आधार पर चीनी के स्टॉक का मूल्य निर्धारित किया जाए।
स्वाभाविक रूप से चीनी का मिल गेट दाम खुले बाजार में प्रचलित मूल्य से नीचे रहता है इसलिए इसके आधार पर चीनी के स्टॉक का मूल्य भी घट जाता है।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी शक्कर कारखाना महसंघ के प्रबंध निदेशक का कहना है कि राज्य के सहकारी बैंकों ने विभिन्न इकाइयों को ऋण उपलब्ध करवाने के लिए चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) के बजाए अब बाजार में प्रचलित दाम के आधार पर उनके स्टॉक का मूल्य निर्धारित करना शुरू कर दिया है जिससे सहकारी चीनी मिलों को अधिक राशि का ऋण मिलेगा।
पहले एमएसपी को ही ऋण के लिए आधार बनाया जाता था मगर यह देखा जा रहा है कि मिलर्स को इससे ऊंचे दाम पर अपनी चीनी बेचने का अवसर मिल रहा है।
केन्द्र सरकार ने चीनी का न्यूनतम एक्स-फैक्टरी बिक्री मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है जबकि इसका बाजार भाव (वास्तविक बिक्री मूल्य) 3600/3800 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।
प्रबंध निदेशक के मुताबिक सहकारी बैंकों को नए आधार पर चीनी के मूल्य का आंकलन करने तथा उसके अनुरूप मिलों के लिए ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु राजी करने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी।
दरअसल चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य स्थिर और निश्चित रहता है जबकि बाजार भाव में बदलाव होता रहता है इसलिए बैंक इसे मानने से हिचक रहा था लेकिन अब इसने इस आधार को स्वीकार कर लिया है।