iGrain India - नई दिल्ली । देश के 10 राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में बीटी कॉटन के साथ-साथ परम्परागत श्रेणियों की कपास की खेती सीमित क्षेत्रफल में होती है।
रूई का भाव अपेक्षाकृत कम आकर्षक होने तथा कीड़ों-रोगों के प्रकोप से फसल को भारी नुकसान होने की आशंका रहने से इस बार गुजरात, पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान जैसे राज्यों में कपास के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने की संभावना है।
उत्तरी राज्यों में कपास (नरमा) की अगैती बिजाई होती है जबकि गुजरात में इसकी खेती अन्य प्रांतों के साथ ही जून में आरंभ होती है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात देश में कपास का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है जबकि वहां इसके क्षेत्रफल में 15 प्रतिशत तक की गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
इसी तरह उत्तरी राज्यों में इसका रकबा 40 से 60 प्रतिशत तक घटने की आशंका है। वहां बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है।
वैसे फिलहाल यह बताना मुश्किल है कि इन चार राज्यों में बिजाई कम होने के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर कपास के कुछ उत्पादन क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले गिरावट आएगी या बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि दक्षिण भारत के दो शीर्ष उत्पादक प्रांतों- तेलंगाना एवं कर्नाटक में क्षेत्रफल बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
महाराष्ट्र में रकबा या तो स्थिर या कुछ बड़ा हो सकता है। बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है।