iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ कालीन बाजरा की बिजाई की गति धीमी चल रही है क्योंकि किसान ऊंची कीमत वाली फसलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं। पिछले खरीफ सीजन में उत्पादित बाजरा का स्टॉक पहले ही खपत में जा चुका है। रबी तथा जायद सीजन में सीमित क्षेत्रफल में इसका उत्पादन होता है।
इसकी फसल की जा चुकी है और कहीं-कहीं आ रही है। पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा गुजरात में जायद सीजन के बाजरे की आपूर्ति हो रही है लेकिन पिछला स्टॉक ज्यादा नहीं होने से इसकी मांग मजबूत बनी हुई है। चालू खरीफ सीजन के नए बाजरे की आवक में अभी तीन माह की देर है।
यदि कमजोर आपूर्ति के बीच मांग मजबूत रही तो कीमतों में कुछ सुधार आ सकता है। उत्तर प्रदेश में बाजरा का भाव पहले गिरकर 2000/2025 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया था जो अब सुधरकर 2200/2250 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है।
ध्यान देने की बात है कि गेहूं तथा मक्का का भाव ऊंचा होने से उपभोक्ता उद्योगों में बाजरा की अच्छी मांग बनी हुई है। हल्की क्वालिटी वाले बाजरे में डिस्टीलरी प्लांटों की अच्छी मांग निकल रही है।
बाजरा का पिछला स्टॉक बहुत कम बताया जा रहा है जबकि नया माल सितम्बर-अक्टूबर में आना शुरू होगा। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक जुलाई से सितम्बर के बीच बाजरा का भाव आमतौर पर मजबूत बना रहेगा और यदि मांग बढ़ी तो कीमतों में 100 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा हो सकता है।
दरअसल बाजरा की आपूर्ति एवं उपलब्धता तथा मांग एवं खपत का समीकरण पिछले दो वर्षों से जटिल बना हुआ है इसलिए मंडियों में आवक का ज्यादा प्रेशर नहीं बन रहा है।
2024-25 के मार्केटिंग सीजन हेतु सरकार ने बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 2625 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जो 2023-24 की तुलना में 5 प्रतिशत ज्यादा है। इससे पूर्व 2023-24 में भी 6.38 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।