iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में चालू सप्ताह के दौरान मंत्रियों की समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है जिसमें गैर बासमती चावल के शिपमेंट के लिए 500 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित करने के एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की जा सकती है।
हालांकि बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को 950 डॉलर प्रति टन के वर्तमान स्तर से घटाने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है मगर इस पर निर्णय को फ़िलहाल स्थगित रखा जा सकता है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्रालय ने चावल निर्यातकों की एक मीटिंग बुलाकर उसकी समस्याओं एवं चिंताओं को सुनने -समझने का प्रयास किया था और उसके अनुरूप उसने कुछ ऐसे प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जिस पर मंत्रियों के पैनल की मीटिंग में विचार किया जा सके।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि कितने प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया गया है अथवा कौन-कौन से बदलाव करने का प्रस्ताव है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि गैर बासमती चावल के निर्यात के सम्बन्ध में कुछ अहम निर्णय लिया जा सकता है।
चावल निर्यातकों ने वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक में सुझाव दिया था कि गैर बासमती सेला चावल पर अभी जो 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है उसे हटा दिया जाए और उसके स्थान पर 90 डॉलर प्रति टन की दर से शुल्क लगाया जाए।
समझा जाता है कि सरकार ने 500 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) के आधार पर चावल के शिपमेंट पर 100 डॉलर प्रति टन का निर्यात शुल्क लगाने के निश्चय किया है।
जानकारों के मुताबिक यह नया निश्चित निर्यात शुल्क सेला चावल के साथ-साथ सफेद (कच्चा) चावल के लिए भी वैध माना जाएगा।
ध्यान देने वाली बात है कि सफेद चावल का व्यापारिक निर्यात बंद है मगर सरकारी स्तर पर इसका शिपमेंट करने की अनुमति है।
नेशनल को ऑपरेटिव एक्सपोर्टस लिमिटेड (एन सी ई एल) के माध्यम से सफेद चावल का निर्यात होता है। हालांकि उद्योग ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 डॉलर प्रति टन से घटाकर 800-850 डॉलर प्रति टन नियत करने की मांग की थी लेकिन इस पर निर्णय को आगे टालने की संभावना है।