iGrain India - हैदराबाद । हालांकि शुरूआती चरण के दौरान तेलंगाना के कई भागों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश हुई थी जिससे किसानों को खरीफ फसलों की बिजाई में काफी सहायता मिली लेकिन राज्य के कई इलाकों में वर्षा कम या बहुत कम हुई और वहां किसानों को फसलों की खेती के लिए अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि तकनीकी रूप से तेलंगाना में चालू मानसून सीजन के दौरान अब तक अधिशेष वर्षा हुई है लेकिन आधे से अधिक ग्रामीण मंडलों में वर्षा पर आश्रित फसलों को नमी के अभाव का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वहां अच्छी बारिश नहीं हो सकी है।
कुछ फसलों के बीच में अंकुरण कम हुआ है जबकि अनेक इलाकों में कपास की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। तेलंगाना में 585 ग्रामीण मंडल है जिसके 50 प्रतिशत से अधिक भाग में वर्षा पर आश्रित फसलों की हालत खराब होने लगी है। इसमें कपास मुख्य रूप से शामिल है।
ज्ञात हो कि तेलंगाना देश में रूई का तीसरा सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है। वहां 76 मंडलों में सामान्य औसत से काफी कम (20 से 59 प्रतिशत तक) वर्षा हुई है।
एक मंडल में वर्षा की कमी 60 प्रतिशत से भी अधिक देखी जा रही है जबकि 236 मंडल ऐसे हैं जहां सामान्य औसत के सापेक्ष 19 प्रतिशत कम से लेकर 19 प्रतिशत अधिक तक वर्षा हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस बार अभी तक तेलंगाना में करीब 50 लाख एकड़ में खरीफ फसलों की बिजाई हो चुकी है जिसमें 35 लाख एकड़ में कपास, 2.60 लाख एकड़ में सोयाबीन, 2.40 लाख एकड़ में अरहर (तुवर), 2 लाख एकड़ में मक्का, 1.75 लाख एकड़ में धान तथा 40 हजार एकड़ में मूंग की खेती भी शामिल है।
पिछले साल 7 जुलाई तक राज्य में खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र 40 लाख एकड़ से भी कम रहा था। इस बार तेलंगाना के आदिलाबाद, खम्माम, भीम-असीफाबाद, सांगारेड्डी, नालगोंडा, नारायणपेट, विकाराबाद, नगरकुर्नूल, भद्रादि, कोढागुडेम, वारंगल एवं निर्मल सहित कुछ अन्य जिलों में कपास का क्षेत्रफल बढ़ा है।