iGrain India - लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले 3-4 वर्षों में दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वर्ष 2016 से अब तक राज्य में दलहनों के उत्पादन में 36 प्रतिशत का इजाफ़ा हो चुका है और अब सरकार अरहर (तुवर), उड़द तथा मूंग की खेती पर विशेष ध्यान दे रही है।
वहां रबी कालीन दलहनों-चना,मसूर तथा मटर का भारी उत्पादन पहले से ही हो रहा है उत्तर प्रदेश में मटर का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है जबकि मसूर के उत्पादन में मध्य प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर रहता है।
एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार अगले तीन से चार वर्षों में उत्तर प्रदेश दलहनों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
मुख्यमंत्री के दशा निर्देश के अनुपालन में गत सात वर्षों के दौरान राज्य में दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास हुए हैं और इसका सार्थक परिणाम भी सामने आया है।
दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने अरहर, उड़द एवं मूंग के लिए एक विशेष कार्य योजना (एक्शन प्लान) तैयार की है।
इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन स्कीम के अंतर्गत 27,200 हेक्टेयर में फसल अभियान आयोजित किया जाएगा।
प्रवक्ता के अनुसार वर्ष 2016-17 से 2023-24 के दौरान उत्तर प्रदेश में दलहनों के उत्पादन में लगभग 36 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोत्तरी हुई और इसका कुल उत्पादन 23.94 लाख टन से उछलकर 32.55 लाख टन पर पहुंच गया।
उत्पादन संवर्धन अभियान के अंतर्गत 31,553 क्विंटल बीज के वितरण तथा 27,356 क्विटंल सर्टिफाइड बीज के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
14 बीज हब भी तैयार किए गये हैं। किसानों को बाजार में दलहन फसलों का लाभप्रद मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इन सभी फसलों की खरीद सुनिश्चित कर रही है जबकि केन्द्र सरकार नियमित रूप से दलहन फसलों के समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोत्तरी कर रही है।
बुंदेलखंड संभाग के बांदा, महोबा, जालौन, चित्रकूट एवं ललितपुर जिलों में दलहनों का भारी उत्पादन होता है। वहां मॉडल दलहन गांव का विकास किया जाएगा।