iGrain India - बरनाला । हालांकि पंजाब में इस वर्ष सरकार द्वारा किसानों से जायद सीजन में उत्पादित मूंग की कोई खरीद नहीं की गई और उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 500-700 रुपए प्रति क्विंटल नीचे दाम पर प्राइवेट व्यापारियों को अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ा लेकिन राहत की बात यह रही कि मूंग की औसत उपज दर बढ़कर सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई।
इससे किसानों को घाटे की भरपाई करने में काफी हद तक सहायता मिली। मोगा जिले में इस बार मूंग की उत्पादकता उछलकर 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ पर पहुंच गई। यद्यपि व्यापारियों द्वारा केवल 8000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से मूंग की खरीद की गई
मगर बेहतर उत्पादन के कारण किसानों को लाभ कमाने का अवसर मिल गया। वर्ष 2022 में मार्कफेड द्वारा किसानों से 5500 टन से कुछ अधिक मूंग की खरीद की गई थी लेकिन नैफेड ने केवल 2500 टन का स्टॉक ही स्वीकार किया क्योंकि शेष माल की क्वालिटी अच्छी नहीं थी।
इसके फलस्वरूप मार्कफेड एवं पंजाब मंडी बोर्ड को लगभग 40 करोड़ रुपए का घाटा सहना पड़ा था। वर्ष 2023 में मार्कफेड द्वारा केन्द्रीय पूल के लिए केवल 2500 टन मूंग की खरीद की गई और उसे क्वालिटी सम्बन्धी राहत- रियायत की जरूरत नहीं पड़ी।
वर्ष 2024 में मूंग की क्वालिटी काफी अच्छी देखी जा रही है लकिन कृषि विभाग द्वारा केन्द्रीय पूल के लिए मूंग की खरीद करने के संबंध में कोई अधिसूचना ही जारी नहीं की गई इसलिए किसानों ने प्राइवेट व्यापारियों को अपना उत्पाद बेचना शुरू कर दिया।
पंजाब में उत्पादित मूंग का लगभग 75 प्रतिशत स्टॉक 30 जून तक मंडियों में पहुंच चुका था और इसमें से 99 प्रतिशत भाग की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पाम पर होने की सूचना है।
कुछ किसानों को 7800-8000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से मूंग की बिक्री करनी पड़ी जबकि कुछ अन्य उत्पादकों के स्टॉक की बिक्री समर्थन मूल्य के आसपास ही हुई। सरकारी खरीद नहीं होने के बावजूद किसानों को घाटा नहीं हुआ।