iGrain India - सिडनी । ऑस्ट्रेलिया मौसम ब्यूरो (बोम) ने संकेत दिया है कि ला नीना मौसम चक्र का निर्यात अगस्त के बाद ही संभव हो सकता है।
मालूम हो कि ला नीना को दक्षिण-पश्चिम मानसून का हितैषी माना जाता है और इसकी सक्रियता बढ़ने पर एशिया महद्वीप और खासकर भारत में जोरदार बारिश होने तथा भयंकर बाढ़ आने का खतरा रहता है।
अल नीनो मौसम चक्र पहले ही समाप्त (निष्क्रिय) हो चुका है और ला नीना मौसम चक्र का अभी निर्माण नहीं हुआ है।
बोम के अनुसार जलवायु के मॉडल से पता चलता है कि मध्यवर्ती ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान अगले कम से कम दो महीने तक ठंडा बना रह सकता है।
सितम्बर से सात में से चार जलवायु मॉडल यह संकेत दे सकता है कि समुद्री सतह का तापमान न्यूट्रल एन सो स्तर पर बरकरार रह सकता है।
इसके अलावा शेष तीन मॉडल बता रहा है कि समुद्री सतह का तापमान ला नीना के स्तर तक पहुंच सकता है जो (-) 0.8 डिग्री सेल्सियस से नीचे होता है।
ब्यूरो के मुताबिक अल नीनो सॉदर्न ऑसिलेशन (एन सो) फिलहाल उदासीन (न्यूट्रल) बना हुआ है और मध्यवर्ती ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान (एस एच टी) दिसम्बर 2023 से लगातार ठंडा होता जा रहा है।
इसे मध्यवर्ती एवं पूर्वी प्रशांत महासगार में सामान्य औसत से अधिक ठंडे उप धरातल का सहयोग भी मिल रहा है। इसे देखते हुए फिलहाल अल नीनो के निर्माण की संभावना तो दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रही है लेकिन ला नीना मौसम चक्र की उत्पत्ति होने की उम्मीद बढ़ती जा रही है।
इसका मतलब यह हुआ कि इस वर्ष भारतीय मानसून के लिए कोई खतरा नहीं है और जुलाई-अगस्त के दौरान देश में भारी बारिश हो सकती है।
यदि सितम्बर में ला नीना का निर्माण होता है तो इससे देश में उत्तर-पूर्व मानसून को कुछ मजबूती मिल सकती है। यह मानसून अक्टूबर से दिसम्बर तक सक्रिय रहता है।
इससे आगामी रबी सीजन में फसलों की बिजाई एवं प्रगति में अच्छी सहायता मिल सकती है। देश के कई राज्यों में बारिश का दौर अभी जारी है।