iGrain India - शाहजहांपुर (भारती एग्री एप्प)। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल संभाग तराई वाले क्षेत्रों में मूसलाधार वर्षा होने, नदियों में उफान आने तथा बांधों- जलशयों से पानी छोड़े जाने से कई जिलों में भयंकर बाढ़ आ गई है जिससे खासकर धान की फसल को जबरदस्त नुकसान होने की सूचना मिल रही है।
शाहजहांपुर, पीलीभीत, बदायूं एवं बरेली सहित आसपास के जिलों में विनाशकारी बाढ़ का कहर देखा जा रहा है। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार इस क्षेत्र में हजारों एकड़ भूमि में धान की फसल चौपट हो गई है।
दुखद स्थिति यह है कि किसानों ने धान के 'बिचड़े' के लिए जो नर्सरी लगाई थी वह भी पानी में डूब गई है। यदि आगे वर्षा बाढ़ का प्रकोप नहीं रहा तो भी पानी की निकासी में करीब 15 दिन का समय लग जाएगा और तब तक नर्सरी में धान के नवजात पौधे नष्ट हो जाएंगे।
इन्हीं नर्सरियों के पौधों की रोपाई की जाती है। अब नई नर्सरी लगाने का समय भी नहीं रहा। इस क्षेत्र में तिल और बाजरा की खेती भी होती है लेकिन खेतों में पानी भरा होने के कारण उसकी बिजाई संभव नहीं हो पा रही है। इससे किसान काफी हताश और निराश हैं।
उत्तर प्रदेश धान चावल का अग्रणी उत्पादक राज्य है। वहां इस बार दक्षिण पश्चिम मानसून की भारी बारिश हो रही है। राज्य के अनेक जिलों खेतों में पानी का जमाव हो गया है। सामान्य स्तर के जल जमाव वाले इलाकों में धान की रोपाई में बाधा नहीं पड़ रही है मगर बाढ़ ग्रस्त इलाकों में स्थिति खराब हो गई है।
वहां अब वैकल्पिक फसलों की बिजाई का प्रयास किया जाएगा लेकिन इसके लिए भी किसानों को खेतों की मिटटी में नमी का सामान्य अंश आने तक इंतजार करना पड़ेगा। पिछले दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुछ बढ़ ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था।
समझा जाता है कि नेपाल में नदियों के उद्गम एवं बहाव वाले क्षेत्रों में अत्यन्त मूसलाधार बारिश होने से विकराल स्थिति उत्पन्न हो गई और वहां से पानी छोड़ने के कारण उत्तर प्रदेश तथा बिहार में भयंकर बाढ़ आ गई।