iGrain India - इंदौर । खरीफ सीजन की एक प्रमुख तिलहन फसल- सोयाबीन के उत्पादन क्षेत्र में इस बार गिरावट आने की संभावना है क्योंकि महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों में किसान मक्का एवं दलहनों की खेती को विशेष प्राथमिकता दे रहे हैं।
दरअसल सोयाबीन का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है जिससे दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में सोयाबीन की बिजाई घट सकती है। वैसे शुरूआती रुझान में इसका कोई संकेत नहीं मिला है जबकि मानसून की अच्छी बारिश होने से मध्यवर्ती भारत में सोयाबीन की बिजाई अंतिम चरण में पहुंच गई है।
इंदौर स्थित संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ (सोपा) के कार्यकारी निदेशक के अनुसार किसानों को मक्का की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त हुई जबकि तुवर-उड़द का भाव तो काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
दूसरी ओर सोयाबीन का दाम समर्थन मूल्य से भी नीचे चल रहा है। मध्य प्रदेश में किसान सोयाबीन के बदले मक्का तथा महाराष्ट्र में दलहन एवं कपास की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सोपा ने बिजाई क्षेत्र का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है और अगले दो सप्ताहों में क्षेत्रफल का आंकड़ा सामने आने की उम्मीद है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान गत सप्ताह तक राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 28.86 लाख हेक्टेयर से दोगुने से भी ज्यादा उछलकर 60.63 लाख टन के करीब पहुंच गया।
वर्ष 2023 के खरीफ सीजन में सोयाबीन का कुल रकबा 124.11 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा था। सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- मध्य प्रदेश में 11 जुलाई को सोयाबीन का मॉडल मूल्य (जिस भाव पर सर्वाधिक कारोबार होता है)।
3970-4500 रुपए प्रति क्विंटल (लूज में) दर्ज किया गया जो 4600 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे था।
केन्द्र सरकार ने अब 2024-25 सीजन के लिए सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6.3 प्रतिशत बढ़ाकर 4892 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर दिया है ताकि किसानों को इसका रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सके।