iGrain India - नई दिल्ली । चालू माह के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता बढ़ने तथा सामान्य औसत से अधिक वर्षा होने के कारण देश के 150 प्रमुख बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर लगातार दूसरे सप्ताह सुधर गया।
जून में मानसून की बारिश सामान्य औसत से 11 प्रतिशत कम हुई थी जबकि 11 जुलाई तक आते-आते यह कमी घटकर 2 प्रतिशत रह गई। मानसून की सघनता तीव्रता एवं गतिशीलता में उतार-चढ़ाव आता रहता है।
अब भी देश के अनेक राज्यों में मूसलाधार बारिश हो रही है जबकि पड़ोसी देश- नेपाल से भी भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। देश के मध्यवर्ती एवं पश्चिमोत्तर भाग में जोरदार बारिश होने के आसार हैं।
मौसम विभाग में महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के साथ कुछ अन्य राज्यों में भारी वर्षा की चेतावनी दी है। मानसून की अच्छी बारिश के सहारे कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बांधों में जल स्तर (पानी का भंडार) सुधर गया लेकिन दूसरी ओर पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखंड में जल स्तर में गिरावट आ गई।
ध्यान देने की बात है कि इन सभी राज्यों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। केन्द्रीय जल आयोग के नवीनतम साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार देश के 150 प्रमुख बांधों-जलाशयों में कुल भंडारण क्षमता के सापेक्ष पानी का स्तर गत सप्ताह के 22 प्रतिशत से बढ़कर चालू सप्ताह में 26 प्रतिशत तक पहुंच गया और इसकी मात्रा 46,311 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पर पहुंची।
कुल भंडारण क्षमता 178.784 बीसीएम रहती है। इन 150 जलाशयों में से 131 में पानी का भंडार कुल क्षमता के 50 प्रतिशत से नीचे बना हुआ है। पिछले सप्ताह ऐसे जलाशयों की संख्या 136 थी।
इसी तरह 112 जलाशयों में 40 प्रतिशत से कम पानी का भंडार बचा हुआ है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार देश के जिन 724 जिलों से आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं उसमें से 36 प्रतिशत जिलों में बारिश का स्तर अब भी कम या बहुत नीचे है।
पिछले सप्ताह 38 प्रतिशत जिलों में वर्षा का अभाव आंका गया था। देश के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र में वर्षा की कमी घटकर अब 5 प्रतिशत तथा मध्यवर्ती क्षेत्र में 7 प्रतिशत रह गई है।