iGrain India - मुम्बई । तमाम भारतीय एवं वैश्विक मौसम विशेषज्ञ इस बात पर सहमत है कि अभी न्यूट्रल स्थिति चल रही है। इसका मतलब यह हुआ कि अल नीनो मौसम चक्र पहले ही समाप्त हो चुका है और ला नीना मौसम चक्र का निर्माण अभी पूरी तरह शुरू नहीं हुआ है।
वैसे इसके निर्माण की प्रकिया आरंभ होने के कुछ शुरूआती संकेत अवश्य मिल रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो ने कहा था कि अगस्त के बाद ला नीना का लक्ष्य हो सकता है मगर नए मॉडल्स संकेतों से प्रतीत होता है कि इस मौसम चक्र की सक्रियता के लिए ज्यादा लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है।
ध्यान देने की बात है कि अल नीनो को मानसून का विरोधी एवं ला नीना को हितैषी माना जाता है। पिछले साल अल नीनो के प्रभाव एवं प्रकोप के कारण भारत में मानसून कमजोर पड़ गया था और बारिश की कमी से खासकर खरीफ फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। अब अल नीनो का खतरा पहले ही समाप्त हो चुका है।
ला नीना के आने में देर होने से भी भारतीय मानसून पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ना चाहिए। मौसम विभाग ने जुलाई अगस्त एवं सितम्बर माह के दौरान समूचे देश में अच्छी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है।
यदि सितम्बर में या उसके बाद ला नीना की सक्रियता बढ़ती है तो उत्तर-पूर्व मानसून की तीव्रता और गतिशीलता बढ़ सकती है जिससे जाड़े के दिनों में अच्छी वर्षा होने तथा रबी फसलों को राहत मिलने की अच्छी उम्मीद रहेगी।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मध्यवर्ती एवं विषुवतीय प्रशांत महासगार में समुद्री सतह ठंडी होने लगी है और अल ननो सॉदर्न ऑसिलेशन (एनसो) की हालत न्यूट्रल हो गई है।
इससे प्रतीत होता है कि अल नीनो की समाप्ति के बाद अब आगे ला नीना की बारी है भले ही इसकी उत्पत्ति में ज्यादा समय लगे। समुद्री सतह का तापमान (एसएसटी) ही यह निर्धारित करता है कि आगे कौन सा मौसम चक्र सक्रिय हो सकता है।