iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि भारतीय मौसम विज्ञानं विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष के दौरान अब तक देश में दक्षिण पश्चिम मानसून की सामान्य वर्षा हुई है अगर खरीफ फसलों की बिजाई की गति सामान्य मानसून वाले वर्षों यानी 2022 तथा 2021 की तुलना में धीमी बनी हुई है।
वर्ष 2023 में मानसून कमजोर रहा तह और सही समय पर अच्छी बारिश नहीं हो पाई थी इसलिए खरीफ फसलों की बिजाई स्वाभाविक रूप से प्रभावित हुई थी।
सामान्य मानसून वाले वर्षों की तुलना में इस बार खासकर धान और दलहनों का रकबा पीछे चल रहा है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आकड़ों के मुताबिक इस वर्ष 15 जुलाई तक खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 575.13 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो वर्ष 2023 की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र से करीब 10 प्रतिशत अधिक रहा।
गत वर्ष कम एवं विलम्बित बारिश से कारण बिजाई में देर हुई और कुछ फसलों का रकबा घट गया था। यदि वर्ष 2024 की खरीफ फसलों के उत्पादन क्षेत्र की तुलना 2022 एवं 2021 से की जाए तो साफ पता चलता है कि कुल क्षेत्रफल काफी पीछे है।
वर्ष 2023 में अल नीनो के प्रकोप से मानसून कमजोर रहा था। वर्ष 2024 में 15 जुलाई तक धान का जो उत्पादन क्षेत्र रहा वह वर्ष 2022 की तुलना में करीब 11 प्रतिशत एवं वर्ष 2021 के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत कम है।
मौसम विभाग के मुताबिक चालू मानसून सीजन के दौरान धान के प्रमुख उत्पादक राज्यों एवं क्षेत्रों-पंजाब, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, हरियाणा तथा पश्चिम बंगाल के गांगेय क्षेत्र में समय औसत से कम बारिश हुई है।
इसी तरह झारखंड में भी वर्षा का भारी अभाव देखा जा रहा है। जहां तक खरीफ कालीन दलहनों का सवाल है तो इसका बिजाई क्षेत्र वर्ष 2022 से 9 प्रतिशत तथा वर्ष 2021 से करीब 6 प्रतिशत पीछे चल रहा है।
वर्ष 2021 के मुकाबले 2024 में अरहर (तुवर), उड़द एवं मूंग के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट आई है। इसी तरह वर्ष 2021 एवं 2022 की तुलना में इस बार कपास का बिजाई क्षेत्र भी पीछे चल रहा है।
यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि देश के कुछ राज्यों में भयंकर बाढ़ आई हुई है जिससे खरीफ फसलों को नुकसान हो रहा है।