iGrain India - मुम्बई । एक अग्रणी रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय कॉटन स्पिनिंग उद्योग की वृद्धि दर 6 से 8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है।
एजेंसी के अनुसार पिछले दो वर्षों की गिरावट के बाद इस बार उद्योग की विकास दर घनात्मक रहने की उम्मीद है। दरअसल घरेलू मांग कमजोर रहने और कॉटन यार्न के निर्यात में गिरावट आने के कारण उद्योग का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।
चालू वर्ष के दौरान उत्पादन से 4 से 6 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी होने एवं यार्न की कीमतों में कुछ सुधार आने से स्पिनिंग उद्योग को राहत मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि भारत में उत्पादित कॉटन मार्ग के अधिकांश भाग का उपयोग घरेलू प्रभाग में होता है और अब गारमेंट तथा होम टेक्सटाइल सेक्टर में अच्छी रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं।
हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इसके निर्यात में कुछ इजाफा हुआ और वित्त वर्ष 2024-25 में भी इसका सिलसिला जारी रहने के आसार हैं लेकिन वैश्विक मांग कुछ कमजोर पड़ने लगी है।
यह देखन आवश्यक होगा कि अन्य निरयतक देशों की तुलना में भारतीय कॉटन यार्न तथा वस्त्र उत्पादों का भाव कितना प्रतिस्पर्धी रहता है। इससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
आयातकों को अपनी तरफ आकर्षित करना आवश्यक है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान रूई का घरेलू बाजार भाव उछलकर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था लेकिन उसके बाद इसमें नरमी का दौर शुरू हो गया और वर्ष 2023-24 में यह 26 प्रतिशत घट गया।
इसका एक कारण वैश्विक बाजार में भाव नरम पड़ना और दूसरा कारण घरेलू तथा निर्यात मांग में कमी आना माना जाता है।
चालू वर्ष के दौरान रूई के दाम में कुछ सुधार आने की उम्मीद है क्योंकि इसकी मांग बढ़ रही है जबकि कपास के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने की संभावना है।
उत्तरी क्षेत्र में रकबा पहले ही काफी घट चुका है। जहां तक कॉटन यार्न का सवाल है तो जून - 2022 से ही इसकी कीमतों में नरमी का माहौल बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में इसकी कीमतों में सुधार आने के आसार हैं मगर यह सुधार वस्तुतः इसकी मांग में होने वाली वृद्धि पर निर्भर करेगा।