iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति द्वारा चावल की निर्यात नीति पर विचार विमर्श किए जाने की खबर आ रही थी क्योंकि केन्द्रीय पूल में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का पर्याप्त अधिशेष स्टॉक मौजूद है जिससे आंतरिक खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में कोई कठिनाई नहीं होगी
लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि गैर बासमती सफेद चावल तथा टुकड़ा (ब्रोकन) चावल के व्यापारिक निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर अभी कोई निर्णय लेना कठिन होगा।
घरेलू प्रभाग में चावल का भाव ऊंचे स्तर पर एक निश्चित सीमा में स्थिर बना हुआ है और धान का उत्पादन क्षेत्र भी केवल 2023 से आगे है जबकि 2022 एवं 2021 की तुलना में काफी पीछे चल रहा है।
सरकार इसके अंतिम क्षेत्रफल की तस्वीर स्पष्ट होने तक इंतजार कर सकती है। खरीफ कालीन धान का औसत सामान्य क्षेत्रफल इस बार करीब 401 लाख हेक्टेयर आंका गया है जबकि 15 जुलाई 2024 तक इसका उत्पादन क्षेत्र 116 लाख हेक्टेयर के करीब पंहुचा है।
वर्ष 2022 की इसी अवधि में धान का रकबा 129 लाख हेक्टेयर तथा वर्ष 2021 में 156 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया था। वर्ष 2023 में मानसून की कम बारिश होने से धान का उत्पादन क्षेत्र 96 लाख हेक्टेयर के आसपास ही पहुंच सकता था।
केन्द्रीय पूल में उपलब्ध चावल के विशाल स्टॉक को घटाने का प्रयास किया जा है मगर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टीओ) के नियमों- प्रावधानों का नियंत्रण होने के कारण इस चावल को निर्यात उद्देश्य के लिए व्यापारियों को आवंटित नहीं किया जा सकता है।
सरकार से सरकार के स्तर पर इसका निर्यात हो सकता है मगर इसकी गति बहुत धीमी देखी जा रही है। सरकारी चावल के स्टॉक को विभिन्न पदों के अंतर्गत घरेलू प्रभाग में बेचना पड़ेगा। सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत गेहूं के साथ चावल बेचने की भी घोषणा की है।
इसके अलावा भारत ब्रांड नाम के अंतर्गत कुछ सरकारी एजेंसियों दवारा निश्चित दाम पर चावल की खुदरा बिक्री की जा रही है। लेकिन विशाल स्टॉक को घटाने में यह योजना कारगर नहीं है।