iGrain India - नई दिल्ली । उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में अच्छी बढ़ोत्तरी होने तथा सही समय पर बकाया राशि का भुगतान प्राप्त होने से उत्साहित भारतीय किसानों ने एक बार फिर गन्ना का उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने का सफल प्रयास किया है।
इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा का सहारा भी किसानों को मिल रहा है और फसल की हालत अच्छी बताई जा रही है। बिजाई क्षेत्र में वृद्धि एवं मौसम-वर्षा की अनुकूल स्थिति के कारण गन्ना की पैदावार में वृद्धि होने की उम्मीद है जिससे चीनी मिलों को अधिक मात्रा में कच्चा माल प्राप्त हो सकेगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष के दौरान 15 जुलाई तक राष्ट्रीय स्तर पर गन्ना का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो वर्ष 2023 की इसी अवधि के बिजाई क्षेत्र 56.86 लाख हेक्टेयर से 82 हजार हेक्टेयर ज्यादा है।
इससे पूर्व गन्ना का क्षेत्रफल वर्ष 2022 में 53.31 लाख हेक्टेयर तथा वर्ष 2021 में 53.70 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि गन्ना की खेती में किसानों का उत्साह एवं आकर्षण न केवल बरकरार है बल्कि बढ़ भी रहा है।
गन्ना के तीन प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक शामिल है। महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में इस बार मानसून की काफी अच्छी बारिश हुई है जिससे गन्ना की औसत उपज दर तथा गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर में सुधार आने के आसार हैं।
जहां तक सबसे प्रमुख गन्ना उत्पादक प्रान्त-उत्तर प्रदेश का सवाल है तो वहां वर्षा अपेक्षाकृत कम हुई है और कई इलाकों में भयंकर बाढ़ का प्रकोप भी देखा जा रहा है क्योंकि नेपाल से विभिन्न नदियों में काफी पानी छोड़ा गया है।
इससे फसल को कुछ नुकसान हो सकता है। गन्ना के अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में गुजरात, तमिलनाडु, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं उत्तराखंड आदि शामिल हैं। अक्टूबर से नया क्रशिंग सीजन आरंभ होगा।